विधानसभा चुनाव के बाद आई शिकायतों से पार पाना होगा मुश्किल भरा: पटवारी
भोपाल
प्रदेश कांग्रेस के नव नियुक्त अध्यक्ष जीतू पटवारी को पांच बड़ी चुनौतियों से अब सामना करना पड़ेगा। जीतू के सामने लोकसभा चुनाव के पहले पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल मजबूत तो करना ही होगा, साथ ही विधानसभा चुनाव के दौरान अधिकांक्ष क्षेत्र से आई पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ आई शिकायतों को कैसे मैनेज करना होगा। इन सब के साथ ही कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे चार दशक से जमे पार्टी नेताओं के गुट के बीच सामांजस बनाना भी कड़ी चुनौती होगी।
गुटबाजी से पार पाना होना मुश्किल
विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर से कांग्रेस में गुटबाजी उभर कर सामने आई है। प्रदेश कांग्रेस दफ्तर तक इस गुटबाजी से घिरा हुआ है। प्रदेश दफ्तर से लेकर प्रदेश के हर हिस्से में कांग्रेस की गुटबाजी को खत्म कर लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी नेताओं को एकजुट करना मुश्किल भरा हो सकता है।
चुनाव के बाद आई शिकायतों का लगा अंबार
विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी दफ्तर में शिकायतों का अंबार लग गया है। दो सौ से ज्यादा शिकायतें पार्टी दफ्तर तक पहुंच चुकी है। उम्मीदवारों ने पार्टी के पदाधिकारियों से लेकर कार्यकर्ताओं तक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ऐसे में इन शिकायतों पर यदि एक्शन लिया गया तो पार्टी से कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता दूर हो सकते हैं।
कमलनाथ की टीम के साथ काम करना
पूर्व पीसीसी चीफ कमलनाथ की टीम के साथ जीतू पटवारी को फिलहाल काम करना होगा। यह टीम कमलनाथ की विश्वासपात्र हैं, ऐसे में जीतू पटवारी को यह टीम कितना सहयोग करेगी। यह भी फिलहाल कोई नहीं जानता है। इस चुनौती का सामना भी पटवारी को पीसीसी में रहते हुए करना होगा।
कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाना
विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर हुआ है। लोकसभा चुनाव तीन-चार महीने बाद हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं में जोश भरना मुश्किल भरा हो काम हो सकता है।
नेताओं के सामंजस बनाकर रखना
प्रदेश की राजनीति में पिछले चार दशक से छाए कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से सामंजस बनाना पटवारी के लिए बड़ी चुनौती होगी। दोनों ही नेताओं के हर जिले में समर्थक और अपने-अपने गुट हैं। वहीं कांतिलाल भूरिया, अरुण यादव, सुरेश पचौरी, अजय सिंह और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार जैसे नेताओं से भी उन्हें अपनी ट्यूनिंग बनाने के लिए मशक्कत करना पड़ सकती है।