अंतिम सांस तक मामा-भाई का रिश्ता टूटने नहीं दूंगा : शिवराज सिंह चौहान
भोपाल
मध्य प्रदेश के निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहचान महिलाओं के भाई और बच्चों के मामा के तौर पर बन चुकी है। मुख्यमंत्री के पद से विदाई लेते हुए उन्होंने कहा कि अंतिम सांस तक मामा और भाई के रिश्ते को टूटने नहीं दूंगा। राज्य में भाजपा को प्रचंड जीत मिलने के बाद सोमवार को हुई विधायक दल की बैठक में मोहन यादव को विधायक दल का नेता चुना गया। मंगलवार को चौहान ने अपने आवास पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मेरे प्रदेश की जनता से रिश्ते मुख्यमंत्री और जनता के नहीं बल्कि परिवार के रहे हैं। मामा का रिश्ता प्यार का होता है और भाई का रिश्ता विश्वास का। जब तक मेरी सांस चलेगी तब तक मैं ये रिश्ता टूटने नहीं दूंगा।
शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा, लाखों कार्यकर्ताओं के परिश्रम से, प्रधानमंत्री के आशीर्वाद से, उनकी लोकप्रियता के कारण, केंद्र और राज्य की भी कल्याणकारी योजनाओं के कारण, इसमें लाड़ली बहनों का भी योगदान जबरदस्त है, मेरे मन में संतोष है कि भारी बहुमत वाली सरकार है, जिसको 48.55 प्रतिशत वोट मिले, अब तक के मतों से ज्यादा है। चौहान ने अपनी सरकार के कामकाज का लेखाजोखा देते हुए कहा, गड्ढों वाली सड़कों से शानदार हाइवे वाली सड़कों का प्रदेश मध्य प्रदेश बन गया। अंधेरों के घेरे से निकलकर उजालों की नई दुनिया में हम मध्य प्रदेश को लेकर आए। कृषि के क्षेत्र में चमत्कार हुआ है। 159 लाख मीट्रिक टन से उत्पादन बढ़कर 619 लाख मीट्रिक टन हुआ। एग्रीकल्चरल ग्रोथ रेट मध्य प्रदेश की चमत्कृत करने वाली, वहीं मध्य प्रदेश की आर्थिक प्रगति का बहुत बड़ा कारण बनी। 11 हजार पर कैपिटा इनकम से लेकर हम 1 लाख 40 रुपया तक ला पाए। 70 हजार करोड़ की जीएसडीपी को बढ़ाकर हम 14 लाख करोड़ के पार ले गए।
चौहान ने औद्योगिक विकास का जिक्र करते हुए कहा, इंडस्ट्रियल ग्रोथ रेट हमारी 24 प्रतिशत पहुंच गई, मेट्रो ट्रेन तक का सफर हमने तय किया। कपड़े वाली आईटीआई से हम ग्लोबल स्किल पार्क तक पहुंचे, मेडिकल कॉलेज हो या सीएम राइज स्कूल हो, टूरिज्म के क्षेत्र में काम करना हो या सांस्कृतिक पुनरुत्थान का एक नया दौर प्रारंभ करना हो, महाकाल महालोक से लेकर देवी लोक और एकात्म धाम जैसे केंद्र स्थापित हुए। ये सारे काम मेरे मन को संतोष देते हैं और लगता है कि हम कुछ सार्थक कर पाए, और मुझे इस बात का भी संतोष है कि जब मध्यप्रदेश हमें मिला था विरासत में, तो एक पिछड़ा और बीमारू मध्यप्रदेश मिला था।
चौहान ने अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा, एक लंबा सफर हमने विकास और प्रगति का तय किया और इन वर्षों में मैंने जितनी क्षमता थी, जितना सामर्थ्य था, मैंने पूरा झोंककर अपने प्रदेश के लिए और जनता के कल्याण के लिए काम करने की कोशिश की। मैं अपनी क्षमताओं को अनंत नहीं मानता, लेकिन जितनी भी थी, मैंने पूरी प्रमाणिकता, पूरी ईमानदारी, पूरे परिश्रम के साथ प्रदेश का विकास और अपने प्राणों से प्यारी जनता का कल्याण हो, इसमें अपने आपको झोंका।