हर साल प्रसव के बाद कम से कम चार करोड़ महिलाओं को होती हैं दीर्घकालीन स्वास्थ्य समस्याएं : द लांसेट
नई दिल्ली
हर साल कम से कम चार करोड़ महिलाओं को बच्चे को जन्म देने के बाद लंबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझने की आशंका होती है। 'द लांसेट ग्लोबल हेल्थ' पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन से यह जानकारी मिली है।
अध्ययनकर्ताओं ने पता लगाया कि ऐसे अवसाद से जूझ रही एक तिहाई (35 प्रतिशत) से अधिक महिलाओं में संभोग के दौरान दर्द होने का लक्षण देखा गया जबकि ऐसी 32 फीसदी महिलाओं ने कमर के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत की।
अनुसंधानकर्ताओं के अंतरराष्ट्रीय दल ने अपने अध्ययन में कहा कि प्रसव के बाद महिलाओं पर असर डालने वाले लक्षणों में पेशाब आने पर काबू न होना (8-31 प्रतिशत), बेचैनी (9-24 फीसदी), अवसाद (11-17 फीसदी) और श्रोणि में दर्द (11 फीसदी) शामिल हैं।
इस दल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसंधानकर्ता भी शामिल हैं।
अध्ययन से पता चलता है कि प्रसव के बाद होने वाली समस्याएं कई महीनों या बल्कि वर्षों तक बनी रहती हैं।
अध्ययनकर्ताओं ने स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के भीतर इन आम समस्याओं की पहचान करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि पूरी गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के बाद प्रभावी देखभाल जोखिम को पहचानने और जटिलाओं से बचने के लिए अहम एहतियाती उपाय हैं जिससे प्रसव के बाद दीर्घकालीन स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
अध्ययन में कहा गया है कि उच्च आय वाले देशों के मुकाबले कई कम आय और मध्यम आय वाले देशों में स्थिति बिगड़ सकती है।
डब्ल्यूएचओ में यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य व अनुसंधान के निदेशक डॉ. पैस्कले अलॉटे ने कहा, ''प्रसव के बाद अवसाद से लंबे समय तक भावनात्मक और शारीरिक दोनों तरीके से महिलाओं के दैनिक जीवन में काफी असर पड़ सकता है और इसके बावजूद इन्हें काफी कम पहचाना जाता है और इनके काफी कम मामले दर्ज किए जाते हैं।''