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इमरजेंसी में हुआ था एक साथ 16 जजों का ट्रांसफर और अब 24 का, भड़क गए HC के जस्टिस

कलकत्ता
कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस बिबेक चौधरी ने एक साथ 24 जजों के ट्रांसफर को लेकर कॉलेजियम पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौर में एक साथ 16 अलग-अलग उच्च न्यायालयों के जजों का ट्रांसफर हुआ था। अब 48 साल के बाद कॉलेजियम ने एक साथ 24 हाई कोर्ट जजों का ट्रांसफर कर दिया है। जस्टिस चौधरी का भी ट्रांसफर पटना हाई कोर्ट किया गया है। इस संबंध में 13 नवंबर को केंद्र सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया गया था। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 11 अगस्त को इस संबंध में सिफारिश की थी, जिस पर अब फैसला लिया गया है।

इसी पर टिप्पणी करते हुए जस्टिस बिबेक चौधरी ने कहा कि वह तो इतिहास का हिस्सा हो गए हैं। जस्टिस चौधरी ने कहा, 'हमारे चीफ जस्टिस टीएस शिवगंगनम हमेशा कहते रहे हैं कि मैं ज्यादा बोलने वाला जज हूं। इसलिए जब मेरी आज आपसे आखिरी मुलाकात होगी तो मैं कहना चाहूंगा कि इमरजेंसी के दिनों में 16 जजों का एक साथ ट्रांसफर हुआ था। करीब 48 सालों के बाद एक साथ कॉलेजियम 24 जजों का स्थानांतरण किया है। हालांकि मैं उन लोगों में से हूं, जिन्होंने बदलाव की शुरुआत की और कार्यपालिका के हाथ से पावर को ज्युडिशियरी तक पहुंचाया।'

हाई कोर्ट में अपने फेयरवेल के दौरान जस्टिस चौधरी ने कहा कि 28 जनवरी, 1983 को केंद्र सरकार ने नीति बनाई थी कि हर हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस किसी दूसरे उच्च न्यायालय से आना चाहिए। उन्होंने कहा, 'सरकार ने यह भी तय किया था कि हर हाई कोर्ट में एक तिहाई जज बाहर से होने चाहिए। मैं सोचता हूं कि मेरे ट्रांसफर से उस पॉलिसी को लागू करने की शुरुआत हो गई है।' उन्होंने आगे कहा कि मैं 24 नवंबर को पटना हाई कोर्ट में अपनी जिम्मेदारी संभाल लूंगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह पटना में कुछ दिनों तक अपना काम नहीं कर सकेंगे क्योंकि उन्हें परिवार के लिए व्यवस्था देखनी होगी।

उन्होंने कुछ दिन काम न कर पाने के लिए ट्रांसफर को जिम्मेदार ठहराया। चौधरी ने कहा, 'ऐसा नहीं होता, यदि मैं और अन्य सभी जजों का ट्रांसफर न किया जाता और वे पैरेंट हाई कोर्ट में ही बने रहते।' जस्टिस चौधरी को 2018 में ही कलकत्ता हाई कोर्ट में नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह जिला जज थे। इसके अलावा हाई कोर्ट में रजिस्ट्रार के तौर पर भी वह काम कर चुके हैं।  है। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौर में एक साथ 16 अलग-अलग उच्च न्यायालयों के जजों का ट्रांसफर हुआ था। अब 48 साल के बाद कॉलेजियम ने एक साथ 24 हाई कोर्ट जजों का ट्रांसफर कर दिया है। जस्टिस चौधरी का भी ट्रांसफर पटना हाई कोर्ट किया गया है। इस संबंध में 13 नवंबर को केंद्र सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया गया था। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 11 अगस्त को इस संबंध में सिफारिश की थी, जिस पर अब फैसला लिया गया है।

इसी पर टिप्पणी करते हुए जस्टिस बिबेक चौधरी ने कहा कि वह तो इतिहास का हिस्सा हो गए हैं। जस्टिस चौधरी ने कहा, 'हमारे चीफ जस्टिस टीएस शिवगंगनम हमेशा कहते रहे हैं कि मैं ज्यादा बोलने वाला जज हूं। इसलिए जब मेरी आज आपसे आखिरी मुलाकात होगी तो मैं कहना चाहूंगा कि इमरजेंसी के दिनों में 16 जजों का एक साथ ट्रांसफर हुआ था। करीब 48 सालों के बाद एक साथ कॉलेजियम 24 जजों का स्थानांतरण किया है। हालांकि मैं उन लोगों में से हूं, जिन्होंने बदलाव की शुरुआत की और कार्यपालिका के हाथ से पावर को ज्युडिशियरी तक पहुंचाया।'

हाई कोर्ट में अपने फेयरवेल के दौरान जस्टिस चौधरी ने कहा कि 28 जनवरी, 1983 को केंद्र सरकार ने नीति बनाई थी कि हर हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस किसी दूसरे उच्च न्यायालय से आना चाहिए। उन्होंने कहा, 'सरकार ने यह भी तय किया था कि हर हाई कोर्ट में एक तिहाई जज बाहर से होने चाहिए। मैं सोचता हूं कि मेरे ट्रांसफर से उस पॉलिसी को लागू करने की शुरुआत हो गई है।' उन्होंने आगे कहा कि मैं 24 नवंबर को पटना हाई कोर्ट में अपनी जिम्मेदारी संभाल लूंगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह पटना में कुछ दिनों तक अपना काम नहीं कर सकेंगे क्योंकि उन्हें परिवार के लिए व्यवस्था देखनी होगी।

उन्होंने कुछ दिन काम न कर पाने के लिए ट्रांसफर को जिम्मेदार ठहराया। चौधरी ने कहा, 'ऐसा नहीं होता, यदि मैं और अन्य सभी जजों का ट्रांसफर न किया जाता और वे पैरेंट हाई कोर्ट में ही बने रहते।' जस्टिस चौधरी को 2018 में ही कलकत्ता हाई कोर्ट में नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह जिला जज थे। इसके अलावा हाई कोर्ट में रजिस्ट्रार के तौर पर भी वह काम कर चुके हैं।

 

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