मध्य प्रदेश में डाक मत पत्र पर सियासत, कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष ने लगाया यह गंभीर आरोप
भोपाल
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव खत्म होते ही डाक मत पत्र को लेकर राजनीति तेज हो गई है. कांग्रेस (Congress) को उम्मीद है कि पुरानी पेंशन की घोषणा के बाद डाक मत पत्र के जरिए कर्मचारियों का समर्थन उन्हें मिलेगा, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) का कहना है कि कर्मचारियों के लिए बीजेपी ने बहुत काम किए हैं, इसलिए डाक मत पत्र में उनकी जीत होगी. अब डाक मत पत्र को लेकर धीरे-धीरे सियासत तेज होने लगी है. बता दें कि इस बार मध्य प्रदेश में 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और 40 फीसदी से अधिक दिव्यांगजनों ने भी डाक मत पत्र से मतदान किया है. ऐसे में माना जा रहा है कि डाक मत पत्र भी विधानसभा चुनाव के परिणाम पर काफी असर डाल सकते हैं. इसी वजह से डाक मत पत्र को लेकर राजनीति तेज हो गई है.
दरअसल, विंध्य जनता पार्टी के प्रत्याशी नारायण त्रिपाठी ने कुछ दिन पहले निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर डाक मत पत्रों के परिणाम पहले घोषित किए जाने की मांग उठाई थी. इसके बाद अब कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष और लहार के प्रत्याशी गोविंद सिंह ने भिंड के जिला निर्वाचन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव पर गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि लहार में डाले 797 डाक मत पत्र गायब हैं. दूसरी तरफ जिला निर्वाचन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव ने स्पष्ट कहा कि चुनावी प्रक्रिया में किसी प्रकार की कोई कोताही नहीं बरती गई है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा गया है, जबकि डाक मत पत्र ट्रेजरी में सुरक्षित है. उन्होंने इन आरोपो को सीधे-सीधे नकार दिया.
डाक मत पत्र पर क्यों हैं पार्टियों का ज्यादा फोकस?
बता दें कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में 10 ऐसी विधानसभा सीट थीं, जहां पर हार-जीत का फैसला 1000 वोट से भी कम अंतर से हुआ था. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि डाक मत पत्र किस प्रकार से निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. मध्य प्रदेश में कई ऐसे जिले हैं, जहां पर विधानसभा सीट पर 4000 से ज्यादा डाक मत पत्र से मतदान हुआ है. इसी वजह से डाक मत पत्र को लेकर प्रदेश में राजनीति गर्मा रही है. ग्वालियर की दक्षिण, छतरपुर की राजनगर, दमोह, शिवपुरी जिले की कोलारस, जबलपुर की उत्तर विधानसभा, राजगढ़ जिले की ब्यावरा, राजपुर आदि विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां पर 1000 से कम वोटो के अंतर से हार जीत हुई थी.