उत्तरप्रदेशराज्य

UP में हलाल सर्टिफाइड उत्पादों पर बैन के बाद सख्‍ती, STF के हवाले केस, लखनऊ में छापे

लखनऊ

उत्‍तर प्रदेश में योगी सरकार ने हलाल सर्टिफाइड उत्‍पादों पर बैन लगा दिया है। इसके बाद सख्‍ती बढ़ गई है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की चार टीमों ने सोमवार को पांच इलाकों में स्थित 10 दुकान और स्टोर पर छापे मारे। हालांकि कहीं भी हलाल सर्टिफिकेशन के उत्पाद की बिक्री या स्टॉक नहीं पाया गया। अधिकारियों के अनुसार मंगलवार को भी छापेमारी जारी रहेगी।

एफएसडीए के सहायक आयुक्त एसपी सिंह के मुताबिक, लखनऊ के अलग-अलग इलाकों में दोपहर 12 बजे से छापेमारी शुरू कर दी गई जो शाम 4 बजे तक चली। इस दौरान गोमतीनगर, अलीगंज, हजरतगंज, नरही और विकासनगर में छापेमारी हुई। गोमतीनगर के स्पेंसर फन मॉल, बर्नवाल जनरल स्टोर, अपना मेगा मार्ट, द न्यू रिटेल शॉप, अलीगंज के पप्पू स्टोर, बंसल स्टोर, हजरतगंज के सहारा मॉल स्थित रिलायंस स्टोर, नरही के संजय स्टोर, चीप शॉप, साहू किराना और विकास नगर स्थित पतंजलि स्टोर, रिलायंस स्टोर, स्मार्ट स्टोर और स्पेंसर स्टोर चेक किए गए। इस दौरान कहीं भी हलाल सर्टिफिकेशन के उत्पाद नहीं मिले। जांच टीम ने स्टोर संचालकों को हलाल सर्टिफिकेशन के उत्पादों की बिक्री नहीं करने के भी निर्देश दिए।

हलाल ट्रस्ट का प्रमाण पत्र नियमों के तहत दिया जाता है और केवल निर्यात के लिए होता है। विदेश में खासतौर पर मुस्लिम देशों में उत्पाद निर्यात करने वाली कंपनियां प्रमाण पत्र लेती हैं। मलयेशिया चीनी निर्यात करने वाली चीनी मिलें भी हलाल प्रमाण पत्र लेती हैं।

 

अदालत से करेंगे गुहार: जमीयत उलेमा-ए-हिन्द हलाल ट्रस्ट

दूसरी ओर, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द हलाल ट्रस्ट के सीईओ नियाज ए फारूकी ने कार्रवाई को पूरी तरह से गलत बताया है। कहा कि हलाल ट्रस्ट का प्रमाण पत्र नियमों के तहत दिया जाता है और केवल निर्यात के लिए होता है। विदेश में खासतौर पर मुस्लिम देशों में उत्पाद निर्यात करने वाली कंपनियां प्रमाण पत्र लेती हैं। मलयेशिया चीनी निर्यात करने वाली चीनी मिलें भी हलाल प्रमाण पत्र लेती हैं। कार्रवाई को गलत बताते हुए अदालत में गुहार लगाने की बात कही। इस बीच पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने यूपी में हलाल सर्टिफिकेशन को बैन करने को लेकर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से शिकायत की है। इसमें कहा है कि यूपी सरकार का आदेश प्रथम दृष्टया विधि सम्मत नहीं दिखता है। यह सही है कि खाद्य पदार्थ, औषधि, चिकित्सा सामग्री, प्रसाधन से जुड़े कानून में अलग से हलाल सर्टिफिकेशन की व्यवस्था नहीं है। लेकिन, इसका यह अर्थ नहीं है कि यदि कोई व्यक्ति हलाल सर्टिफिकेशन लिखता या लगाता है तो गैरकानूनी करते हुए उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। आयोग से तथ्यों का संज्ञान लेते हुए सम्यक कार्रवाई करने की मांग की है।

 

यूएपीए के तहत केस दर्ज करने पर विचार

देश विरोधी गतिविधियों व आतंकी संगठनों को फंडिंग जैसी बात सामने आने पर हलाल सर्टिफिकेशन से जुड़े संगठनों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत भी कार्रवाई हो सकती है। इसको लेकर विधि विशेषज्ञों से विचार विमर्श किया जा रहा है। यूएपीए का मुख्य काम आतंकी गतिविधियों को रोकना होता है। इस कानून के तहत पुलिस ऐसे आतंकियों, अपराधियों या अन्य लोगों को चिह्नित करती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं।

17 नवंबर को दर्ज हुआ मुकदमा

17 नवंबर को हजरतगंज कोतवाली में ऐशबाग के मोतीझील निवासी शैलेंद्र कुमार शर्मा ने चेन्नई की हलाल इंडिया, दिल्ली की जमीयत उलेमा हिंद हलाल ट्रस्ट, मुंबई की हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया और जमीयत उलेमा समेत अन्य के खिलाफ केस दर्ज करवाया था। एफआईआर में कई गंभीर धाराएं लगी हैं। नामजद कंपनियों पर आरोप है कि बिना किसी अधिकार के हलाल प्रमाण पत्र निर्गत कर अनुचित लाभ अर्जित कर रही हैं। इससे अर्जित होने वाले धन का इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी तत्वों व आतंकी संगठनों के लिए किया जा रहा है। यही नहीं आरोपित कंपनियों से जुड़े लोग एक वर्ग विशेष को प्रभावित करने के लिए कूट रचित प्रपत्रों का प्रयोग कर प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। इसमें मानकों का पालन भी नहीं किया जा रहा है। यह कंपनियां उन उत्पादों को भी हलाल प्रमाण पत्र जारी कर रही हैं, जो पूरी तरह शुद्ध शाकाहारी की श्रेणी में आते हैं।

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