टनल में फंसे मजदूरों को डिप्रेशन से बचाने के लिए भेजी दवा, खाने के लिए सूखी मेवा की सप्लाई
नई दिल्ली
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल हादसे को 7 दिन पूरे हो चुके हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. इस बीच एक बड़ा अपडेट सामने आया है. अंदर फंसे 41 मजदूरों को डिप्रेशन से बचाने के लिए एंटी डिप्रेशन दवा भेजी जा रही है. इसके अलावा सूखी मेवा और मल्टीविटामिन की दवा भी दी जा रही है.
सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने रविवार को बताया कि श्रमिकों को मल्टीविटामिन, एंटीडिप्रेसेंट और सूखी मेवा भेजे जा रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि अच्छी बात यह है कि अंदर बिजली कनेक्शन शुरू हो चुका है, जिसके कारण टनल के अंदर रोशनी है. पाइपलाइन से पानी भी भेजा जा रहा है. इसके लिए एक 4 इंच के पाइप का इस्तेमाल किया जा रहा, आमतौर पर इसे कंप्रेशन के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस पाइप के जरिए ही पहले दिन से खाना भेजा जा रहा है.
वीडियो जारी कर दिया रेस्क्यू का अपडेट
जैन ने उत्तरकाशी टनल ढहने के बचाव अभियान पर एक वीडियो अपडेट देते हुए कहा,'सुरंग के अंदर दो किमी के हिस्से में पानी और बिजली की व्यवस्था हो गई है. यह दो किलोमीटर का वह हिस्सा है, जो 4.5 किमी. की निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल में तैयार किया जा चुका है.
24 मीटर ड्रिलिंग के बाद रोका गया था काम
सुरंग का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) के तहत किया जा रहा है. सुरंग पिछले रविवार (12 नवंबर) सुबह करीब साढ़े पांच बजे ढह गई थी. तब से ही वहां रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. हालांकि, इसे शुक्रवार की दोपहर कुछ देर के लिए रोका गया था, जब अमेरिकी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग के दौरान कुछ परेशानी का सामना करना पड़ा था. हालांकि, तब तक ऑगर मशीन ने 60 मीटर के मलबे में से 24 मीटर ड्रिल कर दिया था.
ऑल वेदर रोड परिजोयाना का हिस्सा
बता दें कि उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर और उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से सात घंटे की ड्राइव पर सिल्कयारा सुरंग, केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चार धाम ऑल वेदर रोड परियोजना का हिस्सा है.
ड्रिलिंग के दौरान मिली थी बड़ी दरार
बता दें कि शुक्रवार की दोपहर करीब 2.45 बजे पांचवे पाइप को अंदर डालते समय सुरंग में एक बड़ी दरार की आवाज सुनी गई थी. इस के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन को तुरंत रोक दिया गया था. सुरंग निर्माण करने वाले एनएचआईडीसीएल ने बयान में बताया था कि एक्सपर्ट्स ने आशंका जताई थी कि काम जारी रखने पर और मलबा ढह सकता है. इसलिए पाइप को सुरंग के अंदर भेजने का काम रोक दिया गया था.
पांच विकल्पों पर किया जा रहा काम
रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच शनिवार को केंद्र सरकार ने एक उच्च स्तरीय बैठक भी की थी. इसमें श्रमिकों को बचाने के लिए 5 विकल्पों पर काम करने के लिए लगाई गईं एजेंसियों के साथ चर्चा की गई थी. बता दें कि एनएचआईडीसीएल के एमडी महमूद अहमद को सभी केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय का प्रभारी बनाया गया है और उन्हें सिल्कयारा में तैनात किया गया है. इसके अलावा ओएनजीसी, आरवीएनएल, सतलुज जल विकास निगम लिमिटेड, बीआरओ और राज्य पीडब्ल्यूडी, एनएचआईडीसीएल के अलावा कई एजेंसियों को फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंच स्थापित करने में लगाया गया है.