लाडली बहना और तीन तलाक के सहारे भाजपा के उम्मीदवार
भोपाल
प्रदेश में मुस्लिम आबादी भले ही 9 फीसदी हो लेकिन आबादी के लिहाज से बीजेपी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को इस बार चुनाव में मौका नहीं दिया है। वहीं प्रदेश में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 50 लाख है। आबादी के हिसाब से देखा जाए तो विधानसभा में 15 से लेकर 20 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में होना चाहिए।
ऐसे में भाजपा कांग्रेस की परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी करने के लिए लाडली बहना,तीन तलाक और लाडली लक्ष्मी योजना के सहारे चुनावी बिसात बिछाने में लगी हुई है। क्योेंकि प्रदेश में 19 विधानसभा सीटे ऐसी है जो मुस्लिम बाहुल्य है। साथ ही एक दर्जन से ज्यादा ऐसे जिले हैं जहां एक लाख से ज्यादा मुस्लिम मतदाता है। प्रदेश की 20 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता प्रत्याशियों के हार- जीत में बड़ी भूमिका तय करते हैं। हालांकि बीजेपी वर्ष 2023 का विधानसभा चुनाव यूपी और गुजरात के कोर हिंदू मॉडल पर लड़ रही है। लेकिन इसके बावजूद भी मुस्लिम मतदाताओं को साधने के लिए बीजेपी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में लाडली बहना, तीन तलाक और लाडली लक्ष्मी योजना का डोर- टू डोर प्रचार कर रही है।
प्रदेश की मुस्लिम बाहुल्य इन सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार मुस्लिम महिलाओं को साधने के लिए लाडली बहना, लाडली लक्ष्मी योजना, छात्रवृत्ति और तीन तलाक जैसे मुद्दों को लेकर महिला मतदाताओं को अपनी ओर साधने में लगे हुए है। उम्मीदवार डोर- टू- डोर जाकर यह समझा रहे हैं कि कांग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करती है। भाजपा सरकार सभी वर्गो को ध्यान में रखते हुए हर योजना बनाती है। लाडली बहना योजना का मुस्लिम महिलाओं को सीधे लाभ मिल रहा है।
मुस्लिम बाहुल्य सीटे-
वर्ष 2011 की जगणना के अनुसार प्रदेश में मुस्लिम आबादी 7 फीसदी थी। हालांकि इन बारह वर्षो में मुस्लिम आबादी में 2 फीसदी की बढ़ोत्तरी होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। प्रदेश की मुस्लिम बाहुल्य सीटें भोपाल मध्य, भोपाल उत्तर, नरेला , बुरहानपुर, खंडवा, जबलपुर, रतलाम, जावरा, शाजापुर, महिदपुर, मंदसौर, मंडला, इंदौर एक, तीन, पांच, नसरूल्लागंज, इच्छावर, आष्टा, देवास, उज्जैन उत्तर और उज्जैन दक्षिण। इन सीटों पर मुस्लिम मतदाता प्रत्यायिशों के हार- जीत में बड़ी भूमिका निभाते हंै।