जापान अंतरिक्ष में भेजेंगा लकड़ी से बना उपग्रह, जानें क्या है प्लान
क्योटो
स्पेस में अभी तक एल्यूमीनियम रॉकेट और स्टील स्काईस्क्रैपर्स देखते रहे हैं लेकिन जापान के वैज्ञानिकों ने अब स्पेश में लकड़ी की सैटेलाइट भेजने की तैयारी कर ली है। जापान में क्योटो विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता कोजी मुराता ने लकड़ी की सैटेलाइट तैयार की है। मुराता ने अंतरिक्ष में जैविक सामग्रियों के उपयोग पर शोध किया है। उन्होंने एक लकड़ी का उपग्रह बनाकर सिद्धांत का परीक्षण करने का फैसला किया है। ताकि चांद और मंगल पर लकड़ी के उपयोग को परखा जा सके।
नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के हालिया शोध में पाया गया कि समताप मंडल में 10% वायुमंडलीय एयरोसोल में उपग्रहों सहित अंतरिक्ष यान से धातु के कण शामिल थे। इन धातु के टुकड़ों का दीर्घकालिक प्रभाव अभी पता नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों को चिंता है कि यह पृथ्वी की नाजुक ओजोन परत को नुकसान पहुंचा सकता है। मुराता का कहना है कि लकड़ी के उपग्रह दूसरी धातुओं के बराबर ही काम करेंगे और ग्रह के लिए बेहतर होंगे।
अगले साल अंतरिक्ष में भेजेंगे सैटेलाइट
मुराता ने बताया कि अपने जीवन के अंत में, उपग्रह वायुमंडल में फिर से प्रवेश करते हैं। अंतर यह है कि लिंगोसैट में लकड़ी जल जाएगी और फिर गैस बन जाएगी। वहीं धातुएं महीन कण बन जाएंगी। मुराता और उनकी टीम चार साल से इस परियोजना पर काम कर रही है। अंतरिक्ष स्थितियों के लिए सामग्री की लचीलापन का परीक्षण करने के लिए 2021 में लकड़ी के नमूने अंतरिक्ष में भेज चुकी है। अब वे लिंगोसैट नाम के प्रोटोटाइप सैटेलाइट को अगले साल की शुरुआत में कक्षा में भेजने के लिए जापान की अंतरिक्ष एजेंसी (जेएक्सए) और नासा के साथ काम कर रहे हैं।
मुराता का कहना है कि लकड़ी का बना सैटेलाइट लॉन्च करने से स्पेस में प्रदूषण पर रोक लग सकेगी। इसलिए इसे इको-फ्रेंडली सैटेलाइट कहा जा रहा है। लकड़ी का सैटेलाइट अपना काम पूरा करने के बाद अंतरिक्ष में ही नष्ट हो जाएगा। या फिर धुरी से हटने के बाद बिना किसी खतरे के धरती में वापस लौटाया जा सकेगा और फिर यहां इसको रिसाइकिल भी किया जा सकेगा। ये अंतरिक्ष के पर्यावरण के लिए काफी फायदेमंद होगा। जापान अगले साल ये कर सकता है। ऐसा हुआ तो फिर स्पेस की दुनिया के लिए ये बड़ा कदम होगा।