जंग का तीसरा मोर्चा खोल रहा चीन, ताइवान पर उड़ाए 43 जंगी जहाज
बीजिंग
यूक्रेन और रूस के बीच बीते डेढ़ साल से ज्यादा वक्त से युद्ध जारी है। इस बीच इजरायल और हमास में जंग ने भी दुनिया को मुसीबत में डाला है और अब चीन तीसरा मोर्चा खोलने की तैयारी में है। चीन ने ताइवान के पास 43 सैन्य एयरक्राफ्ट और 7 जहाज भेजे हैं। ताइवान का कहना है कि ड्रैगन उस पर दबाव बनाने के लिए ऐसा कर रहा है, लेकिन वह झुकेगा नहीं। ताइवान का कहना है कि चीन के 37 एयरक्राफ्ट ने ताइवान की खाड़ी की सीमा को पार किया है। वहीं चीन का कहना है कि वह तो इस सीमा को मानता ही नहीं है। दरअसल चीन अकसर दावा करता है कि वन चाइना पॉलिसी के तहत ताइवान उसका ही हिस्सा है। वहीं ताइवान खुद को स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र मानता है।
पिछले दिनों अमेरिका और ब्रिटेन के शीर्ष मंत्रियों ने ताइवान का दौरा किया था, जिस पर चीन भड़क गया था। यही नहीं अमेरिकी संसद की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने जब ताइवान का दौरा किया था तो चीन ने एयरक्राफ्ट भी उड़ाए थे। चीन की हरकतों पर फिलहाल ताइवान की पैनी नजर है। उसने भी जेट फाइटर्स को ऐक्टिव कर दिया है। जहाजों को सीमा पर रवाना किया है। इसके अलावा मिसाइल सिस्टम को भी सतर्क किया है ताकि किसी भी उकसावे का जवाब दिया जा सके।
चीन अकसर ताइवान की सीमा पर सैन्य अभ्यास करता है, युद्ध विमान उड़ता है। कई बार उसके एयरस्पेस में भी चीनी लड़ाकू विमान घुसते रहे हैं। जानकार मानते हैं कि ताइवान पर दबाव बनाने के लिए वह ऐसा करता रहा है। हाल ही में चीनी सेना के दूसरे नंबर के अधिकारी जनरल झांग योशिया ने कहा था कि यदि कोई भी ताइवान को हमसे अलग करने का प्रयास करता है तो उसे अंजाम भुगतना होगा। माना जा रहा है कि अमेरिका समेत दुनिया के तमाम बड़े देश इन दिनों इजरायल और हमास के युद्ध में व्यस्त हैं। इसके अलावा रूस और यूक्रेन की जंग भी एक चुनौती बनी है। ऐसे में इसी बीच चीन ताइवान पर अपना हक मजबूत करने में जुटा है ताकि अमेरिका जवाब न दे सके।
चीन हमेशा से ही मौकापरस्त रहा है. कार्गिल में भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई के दौरान जब भारतीय सेना ने लद्दाख के पैंगाग लेक के पास से सैनिकों को कार्गिल मूव किया तो मौके का फायदा उठा कर उसने फिंगर 4 तक सड़क बना डाली थी. तो 1962 में भी चीन ऐसा मौकापरस्ती का नजारा दुनिया को भारत पर जंग थोप कर भी दिखा दिया था. ये वो वक्त था जब सोवियत संघ और अमेरिका के बीच परमाणु युद्ध की नौबत आ गई थी. क्यूबा मिसाइल क्राइसिस या अक्टूबर क्राइसिस के तौर पर भी जाना जाता है. रूस यूक्रेन युद्ध की शुरुआती दौर में खुद बाइडन ने 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट का जिक्र करते हुए कहा था कि मौजूदा समय में ये संकट क्यूबा मिसाइल से ज्यादा चरम पर है. ये वो दौर था जब अमेरिका जैसे सुपर पावर की सांसे अटक गई थी. वजह थी अमेरीका के फ्लोरिडा तट से महज 150 किलोमीटर दूर क्यूबा में सोवियत संघ ने अपने परमाणु मिसाइल तैनात कर दिए थे. जब सोवियत संघ और अमेरिका के बीच ये संकट जारी था तो उसी दौरान चीन ने भारत पर हमला किया.
कैसे भारत को चीन बना चुका है निशाना?
चीन को इस बात का ऐहसास था कि परमाणु युद्ध के संकट के बीच भारत के साथ जमीनी लड़ाई पर कोई ध्यान नहीं देगा और चीन को रोकने के लिए भारत के अलावा कोई देश बीच में नहीं आएगा. अब वैसा ही कुछ माहौल ताइवान के करीब भी बन सकता है. ताइवान पर कब्जे को लेकर अमेरिका चीन के सामने खड़ा नजर आता रहा है लेकिन अब अमेरिका दो फ्रंट पर फंसा हुआ है तो तीसरा फ्रंट खाली है.
चीन ने भी दे डाली अमेरिका को चुनौती
ताइवान की आजादी के लिए कोई कदम उठाया गया तो चीनी आर्मी किसी भी तरह की दया नही दिखाएगी. ये बयान किसी और ने नहीं चीनी मिलिट्री कमिशन के वाइस चेयरमैन ने बीजिंग जियांदशान फोरम की बैठक के दौरान कही. रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने ये साफ कर दिया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन किसी भी तरह से ताइवान को चीन से अलग करना चाहता है. चीनी सेना कभी इसके लिए सहमत नहीं होगी. ताइवान चीन के मूल हितों का केंद्र था. मौजूदा हालात में इस तरह का बयान अपने आप में ही इस बात की तस्दीक करने के लिए काफी हैं कि इशारा किसी ओर है.