कार्तिक मास भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है, करें ये आसान उपाय, बनने लगेंगे सारे बिगड़े काम
भगवान विष्णु का प्रिय माह कार्तिक मास चल रहा हैं. कार्तिक मास को मोक्ष का द्वार कहा गया है. हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व माना गया है. यह भगवान विष्णु का प्रिय माह माना जाता हैं. यह चातुर्मास का अंतिम महीना होता है. ऐसे में कार्तिक मास पर क्या करें क्या न करें जानना बेहद जरूरी है.कार्तिक माह29 अक्टूबर से शुरू हो चुका है. हिंदू धर्म में कार्तिक मास में पवित्र नदी मैं स्नान का बेहद खास महत्व है. पवित्र नदी नर्मदा, गंगा में स्नान, तालाब, कुएं या घरों में गंगाजल, नर्मदा जल डालकर नहाने के बाद पूजा घर में गंगाजल से शुद्ध कर ही भगवान की पूजा-आराधना कर सकते हैं.
ज्योतिषाचार्य के अनुसार हिंदू धर्म में कहा गया है कि पूरे कार्तिक माह में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर जो जातक गंगा स्नान करता है उसे धरती के सभी तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है. कार्तिक मास में दीपदान का भी विशेष महत्व बताया गया है. पद्म पुराण, नारद पुराण और स्कन्द पुराण में कार्तिम मास की विशेषमहिमा बताई गई है. इस मास में किए गए पूजा, दान, धर्म-कर्म सीधे देवों तक पहुंचता है, इसलिए कार्तिक मास को मोक्ष का द्वार भी कहा गया है.
कार्तिक मास में त्योहारों का दौर
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कार्तिक माह में कार्तिक स्नान के साथ त्योहारों का दौर शुरू हो जाता है. त्योहारों में सबसे पहले 1 नवंबर को करवाचौथ, 5 नवंबर को अहोई अष्टमी, 9 को रंभा एकादशी, 10 को धनतेरस पूजा, 12 को नरक चतुर्दशी, 12 को दीपावली, 13 को गोवर्धन पूजा, 14 को भाई दूज, 17 नवंबर से 20 नवंबर, देवुत्थान एकादशी – 23 नवंबर, तुलसी विवाह – 24 नवंबर, पर होगी. इस तरह पूरे महीना तीज-त्योहारों के साथ ही बीतेगा.
भगवान विष्णु निद्रा से जागते है
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कार्तिक मास में ही भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं एवं अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं. इस मास में भगवान विष्णु पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच जल में ही निवास करते हैं. इसलिए कार्तिक माह में पवित्र स्थान गंगा,नर्मदा स्नान का विशेष महत्व कहा गयाहै. इसके साथ ही स्कंद पुराण में वर्णित कथा के अनुसार भगवान महादेव और माता माँ पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध भी इसी माह में किया था. इसलिए इसका नाम कार्तिक पड़ा. इस मास में पवित्र नदियों में स्नान, दान, उपासना, हवन आदि करने से जातकों पर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है.