आसान नहीं है भारतीय सेना को हटाना- मालदीव को खतरे में डाल रहे नए राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू
माले
मलदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू चीन को घोर समर्थक हैं। वहीं उन्होंने सत्ता में आते ही भारत विरोधी अजेंडा चलाना शुरू कर दिया है। सबसे पहले तो उन्होंने भारत की सेना को निकालने का फैसला कर लिया है जो कि उनके देश के लिए बेहद खतरनाक है। मालदीव एक द्वीपीय देश है जिसमें भूभाग बहुत कम है। ऐसे में मालदीव प्राकृतिक आपदाओं के साथ अन्य तरह के संकटों से भी घिरा रहता है। भारत की सेना मालदीव की सुरक्षा में भागीदार रहा है। भले ही 'इंडिया आउट' का नारा देकर मोइज्जू ने चुनाव जीत लिए लेकिन अपनी सुरक्षा को इस तरह खतरे में डालना उनके लिए भी आसान नहीं होगा।
प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और सर्च ऑपरेशन के लिए भारत ने मालदीव को एक डोर्नियर 228 एयरक्राफ्ट और दो एचएएल ध्रुव हेलिकॉप्टर गिफ्ट किए थे। ये हेलिकॉप्टर मेडिकल इवैकुएशन में भी मदद करते हैं। भारत अपने पड़ोसी देश को सुरक्षित रखने में पूरा योगदान दे रहा था। समुद्री सुरक्षा को लेकर भारत मालदीव का बड़ा सहयोग करता है। बीते पांच साल में मालदीव अकसर भारत के ही एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल पट्रोलिंग और सर्विलांस के लिए करता रहा है।
मालदीव का समुद्र सुरक्षित रहे इसलिए भारत के हेलिकॉप्टर दिन रात उड़ान भरते रहते हैं। अवैध फिशिंग और तस्कीरी को रोकने में भी भारतीय सेना बड़ा योगदान देती है। मालदीव के जल की सुरक्षा के लिए रियल डेटा शेयरिंग की तकनीक भी भारत के मदद से ही इस्तेमाल होती है। सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाला SAR एयरक्राफ्ट भी मालदीव की सेना की मदद करते हैं। मालदीव की सेना को भारतीय सेना ने तैयार भी किया है ताकि वह रियल टाइम ऑपरेशन को अंजाम दे सके।
समुद्री संकट और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भारत की ट्रेनिंग और सहायता के जरिए ही हजारों लोगों की जान बचाई गई। वहीं सिविल एविएशन में भी भारत की मदद मिलती है। बीते साल मालदीव के एयरपोर्ट पर एक एयरक्राफ्ट दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसके बाद भारत की टीम ने ही चुनौतीपूर्ण स्थिति में मदद की और फिर से एयरपोर्ट को उड़ान के लिए तैयार किया जा सका। रात भर में ही भारत की टीम ने रनवे को साफ कर दिया था।
समय पर राहत और बचाव के काम में भी भारतीय सेना ऐक्टिव रहती है। द्वीपीय देश के सुदूर क्षेत्रों से लोगों को निकालने में भारतीय सेना हमेशा मददगार साबित होती रही है। भारत के सैनिक अपनी जान को खतरे में डालकर भी मालदीव के लोगों को बचाते रहे हैं। बीते कुछ सालों में भारतीय सेना ने 500 लोगों को बचाया है। भारत मालदीव की इन्फ्रास्ट्रक्चर और बंदरगाहों के निर्माण में भी मदद करता रहा। बीते कुछ सालों में भारत और मालदीव के संबंध अपने चरम पर पहुंचे। हालांकि मालदीव की राजनीति अब इन संबंधों को खतरे में डाल रही है। मालदीव की जनता भी राजनेताओं के वादे के पीछे के मकसद को समझने में नाकाम है। दूसरी तरफ यह भी सच है कि नए राष्ट्रपति के लिए भारतीय सेना को रीप्लेस कर देना भी इतना आसान नहीं है।