भारतीय सेना की ‘अग्निवीर’ की नौकरी छोड़ रूस-यूक्रेन युद्ध में लड़ रहे नेपाल के गोरखा सैनिक
काठमांडू
भारतीय सेना की 'अग्निवीर' की नौकरी छोड़ रूस-यूक्रेन युद्ध में लड़ रहे नेपाल के गोरखा सैनिक बड़ी तादाद में अपनी जान गंवा रहे हैं लेकिन उन्हें अपने देश में दो गज जमीन तक नहीं मिल पा रही है। गोरखा सैनिकों कई दशकों से भारतीय सेना की शान रहे हैं और अपनी वीरता की वजह से पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। नेपाल में अवसरों की कमी और भारतीय सेना की अग्निवीर की नौकरी को ठुकरा ये गोरखा सैनिक अब बड़ी तादाद में रूस की सेना की ओर से यूक्रेन में जंग लड़ रहे हैं। इस बीच कई महीने की जंग के बाद अब उन्हें युद्ध के मोर्चे से हटाया जा रहा है और कहा जा रहा है कि उन्हें लड़ाई लड़ना नहीं आता है।
यही नहीं उन्हें जिस पैसे का लालच दिया गया था, वह भी नहीं मिल पा रहा है। यही नहीं युद्ध में मारे जाने के बाद उनका शव तक नेपाल नहीं आ पा रहा है और उन्हें विदेशी जमीन पर ही दफन किया जा रहा है। यूरेशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल में परिवारवाले अपने बच्चों की लाश को रूस से वापस मंगाने के लिए परेशान हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई है। रूसी सेना ने काठमांडू में रहने वाली शांता को बताया कि उनके भाई की युद्ध में मौत हो गई है और उन्हें वहीं पर दफना दिया गया है। शांता चाहती थीं कि उनके भाई का शव रूस से वापस लाया जाए लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई।
यूक्रेनी सेना के कब्जे में नेपाली गोरखा
वहीं दूसरी तरफ कई गोरखा सैनिकों को यूक्रेन की सेना ने पकड़ लिया है। यूक्रेन के गृहमंत्री के एक सलाहकार ने तो नेपाली गोरखा को पकड़े जाने का वीडियो जारी किया है। ये गोरखा रूसी सेना की ओर से लड़ रहे थे। इनमें से एक का नाम बिबेव खत्री है और वह बरादिया नेपाल का रहने वाला है। खत्री ने एक वीडियो जारी करके कहा, 'मेरा परिवार संकट में है। मेरी मां काम नहीं करती हैं। हमें पैसे की जरूरत है और इसी वजह से मैंने रूसी सेना को जॉइन किया था।' बिबेक ने बताया उसके दोस्त ने रूसी सेना में शामिल होने के लिए दबाव डाला था।
बिबेक ने यूक्रेनी सेना से कहा कि मैं अपनी मां के सामने एक सफल इंसान बनकर जाना चाहता था और इसलिए रूसी सेना में शामिल हो गया। नेपाली मीडिया के मुताबिक बिबेक एक गरीब परिवार से है। बिबेक की मां को लकवा मार गया है और वह बिस्तर पर है। नेपाल में जॉब नहीं मिली और अब यूक्रेन ने उन्हें बंदी बना लिया। अब बिबेक की मां यूक्रेन की सरकार से रिहाई की गुहार लगा रही है। रूसी सेना में नेपाल के अलावा कई देशों के युवा शामिल हुए हैं। कई नेपाली जंग में घायल हो जा रहे हैं और उनके परिवार वाले उन्हें नेपाल वापस लाने के लिए जूझ रहे हैं। रूसी सेना उनकी मदद नहीं कर रही है। इनमें कई सैनिक हिंदू हैं लेकिन उन्हें दफना दिया जा रहा है जिससे परिवार वाले काफी नाराज हैं। इस जंग में लड़ने के लिए रूसी सेना से उन्हें मात्र 750 डॉलर मिल रहे हैं।