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‘इजरायल-फिलिस्तीन मामले पर कन्फ्यूज केंद्र सरकार’, शरद पवार ने बताया क्या होना चाहिए भारत का स्टैंड

नई दिल्ली
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार ने इजरायल-हमास युद्ध को लेकर भारत के रुख पर सवाल उठाए। उन्होंने शनिवार को कहा कि फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत सरकार में भ्रम की स्थिति दिखती है। पवार ने कहा, 'मैंने पिछली सरकारों में कभी इस तरह का कन्फ्यूजन नहीं देखा। इतिहास में देखें तो भारत की नीति हमेशा फिलिस्तीन का समर्थन करने की रही है, न कि इजराइल का।' शरद पवार ने दावा किया कि इस मामले को लेकर केंद्र सरकार के भीतर कोई एकमत नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजरायल के साथ एकजुटता दिखाई थी, ताकि विदेश मंत्रालय बाद में कुछ अलग कह सके।

दरअसल, राकांपा प्रमुख पीएम मोदी के 8 अक्टूबर को दिए गए बयान का जिक्र कर रहे थे। इजरायल और हमास में जंग छिड़ने पर प्रधानमंत्री ने कहा था कि इजरायल पर हमास के हमलों की खबर से उन्हें गहरा झटका लगा। उन्होंने कहा, 'इस कठिन समय में हम लोग इजरायल के साथ एकजुट होकर खड़े हैं।' साथ ही उन्होंने 10 अक्टूबर को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बातचीत थी। इस दौरान भी उन्होंने इजरायल के लिए अपना समर्थन दोहराया था। इसके कुछ दिनों बाद 12 अक्टूबर को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची की प्रतिक्रिया आई। उन्होंने कहा कि भारत फिलिस्तीन के संप्रभु और स्वतंत्र राज्य की स्थापना के लिए अपने दीर्घकालिक समर्थन में विश्वास रखता है।

भारत ने कभी इजरायली मुद्दे का नहीं किया समर्थन: पवार
शरद पवार ने कहा कि फिलिस्तीन मुद्दे को लेकर भारत की नीति में बदलाव हुआ है। यह ठीक नहीं है क्योंकि वहां हजारों लोग मर रहे हैं। एनसीपी चीफ ने कहा कि भारत ने कभी भी इजरायली मुद्दे का समर्थन नहीं किया। दरअसल, संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव पर मतदान से भारत के दूर रहने पर पवार की राय पूछी गई थी। इसके जवाब में उन्होंने ये बातें कहीं। गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब शरद पवार ने इजरायल-हमास जंग को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ बोला है। युद्ध छिड़ने के कुछ दिनों बाद ही एनसीपी प्रमुख की प्रतिक्रिया आई थी। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि हमारे प्रधानमंत्री इजरायल के साथ खड़े हैं।

इजरायल-हमास संघर्ष वाले प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा भारत
बता दें कि इजरायल-हमास संघर्ष संबंधी प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहे भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि आतंकवाद हानिकारक है, उसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं है। साथ ही दुनिया को आतंकवादी कृत्यों को जायज ठहराने वालों की बातों को तवज्जो नहीं देनी चाहिए। भारत यूएन महासभा में 'आम नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी व मानवीय दायित्वों को कायम रखने' शीर्षक वाले जॉर्डन के मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा। इस प्रस्ताव में इजरायल-हमास युद्ध में तत्काल मानवीय संघर्ष-विराम और गाजा पट्टी में निर्बाध मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया था। संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने उस प्रस्ताव को अपनाया जिसमें तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष-विराम का आह्वान किया गया है, ताकि शत्रुता समाप्त हो सके।

 

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