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‘भूत’ ने बंद करा दिया स्कूल! टीचर और रसोइया की ऐसी मौत से दहशत में बच्चे

 नई दिल्ली

प्रखंड क्षेत्र के आसनबेड़िया पंचायतन्तर्गत उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय छोटूडीह में पढ़ने वाले बच्चों व अभिभावकों को स्कूल में कथित रूप से भूत होने का डर सताता रहता है। इस कारण अभिभावक करीब1 सप्ताह से बच्चों को स्कूल में पढ़ने नही भेज रहे है। मजबूरन विद्यालय प्रबंधन समिति(एसएमसी) के अध्यक्ष के खपरैल घर में स्कूल के वर्ग कक्ष का संचालन हो रहा है। जहां एकमात्र शिक्षक (सहायक अध्यापक) सुरेंद्र टुडू कार्यरत है,वह अध्यक्ष के खपरैल घर में ही बच्चों को पढ़ाते है।

डीएसई ने स्कूल का किया अवलोकन
मंगलवार को जिला शिक्ष अधीक्षक दीपक राम ने स्कूल का निरीक्षण किया। इस दौरान स्कूल भवन में ताला लटका हुआ था। उसके बाद संबंधित संकुल के सीआरपी ने बताया कि स्कूल का संचालन एसएमसी के अध्यक्ष के निजी घर में हो रहा है। उन्होने अध्यक्ष के निजी घर में पढ़ाई करने वाले स्कूली बच्चों से बातचीत की। ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि भूत-प्रेत कुछ भी नहीं होता है,यह भ्रांति है। यह संयोग है कि स्कूल के एक शिक्षक की मौत के कुछ अंतराल बाद ही उनके पुत्र की भी मौत हो गई। इसके अलावा रसोइयां छातामुनी मुर्मू की कुछ बीमारी के कारण मौत हो गई। इन घटनाओं के बाद ही गांव के लोग डरे-सहमे है और बच्चों को स्कूल में पढ़ने नही भेजते है। बल्कि एसएमसी के अध्यक्ष के आवास पर पठन-पाठन व मध्याहन भोजन का संचालन हो रहा है। उन्होने कहा कि बुधवार से वर्गकक्ष का संचालन स्कूल भवन में होगा।

2002 में स्कूल की हुई थी स्थापना
धसनियां शैक्षणिक अंचलन्तर्गत उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय छोटूडीह का स्थापना साल 2002 में हुआ था। उक्त स्कूल में 30 बच्चे नामांकित है। वही स्कूल का भवन भी बना है। लेकिन साल 2019 में स्कूल के शिक्षक बाबुधन मुर्मू किसी बीमारी से आक्रांत हुए और उनकी मौत हो गई। वही उक्त शिक्षक की मौत के बाद उनके पुत्र ने कुछ दिनों तक स्कूल में पठन-पाठन कराया। परंतु उनके पुत्र की भी बीमारी से मौत हो गई। उसके कुछ अंतराल गुजरने के बाद रसोइयां छातामुनी मुर्मू की मौत हो गई। इन घटनाओं के बाद ग्रामीणों के अंदर डर समा गया। फिर लोगों के मन में यह भ्रांति घर कर गई कि स्कूल में काम करने वाले शिक्षक व रसोइया की मौत हो जाती है। यह मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था,इस बीच स्कूल के एक ओर शिक्षक बीमार पड़ जाते है। इन घटनाओं के बाद से ही ग्रामीण किसी अनहोनी की आशंका से डरे-सहमे रहते है और बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया।

 

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