जशपुर.
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले से आने वाले कद्दावर आदिवासी नेता गणेशराम भगत को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया। टिकट न मिलने से आहत गणेशराम भगत का रोते हुए एक वीडियो वायरल हो रहा है। गणेशराम भगत अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के संस्थापक बालासाहेब देशपांडे के शिष्य रहे हैं। उराँव जनजाति से आने वाले 73 साल के नेता 1985 से विधायक बनते हुए 2003 तक विधायक रहे। फिर 2003 से 2007 तक रमन सरकार में मिनिस्टर रहे।
2008 में दिलीप सिंह जूदेव के बेटे युध्दवीर सिंह जूदेव से सम्बन्ध खराब होने के बाद टिकट नहीं मिला। बीजेपी ने सीतापुर सीट से अमरजीत भगत के सामने प्रत्याशी बनाया जिसमें 1771 वोट के अंतर से गणेशराम हार गए। इस दौरान इन्होंने हिन्दू धर्म छोड़कर अन्य धर्म अपनाने वाले आदिवासी लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं दिए जाने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया। 2013 के विधानसभा चुनाव में जशपुर से फिर टिकट नहीं मिला जिससे नाराज होकर बागी हो गए और चुनाव हार गए। इधर कल्याण आश्रम से जुड़े होने के कारण संघ ने इनके डिलिस्टिंग के मुद्दे को समर्थन दिया। जिससे देश के कई आदिवासी आबादी वाले क्षेत्रों में बड़ी रैलियां की।
भाजपा में उनके विरोधी गणेशराम का राजनैतिक कद भले कम करने में सफल होते दिख रहे हैं लेकिन जनजातीय समाज में अभी भी इनकी रैलियों में पांच हजार से ज्यादा की भीड़ एक आवाज में जमा हो जाती है। यही कारण है कि हजारों समर्थकों के बीच टिकट नहीं मिलने पर चर्चा के दौरान वो रोने लगे। उन्होंने अमर उजाला से बात करते हुए कहा कि मैं भाजपा का सिपाही हूँ और आगे भी रहूँगा। मुझे टिकट नहीं मिला है। रायमुनी भगत को मैंने शुभकामनाएं दी हैं। जनजातीय सुरक्षा मंच के हजारों -हजार वनवासी भाई-बहन भाजपा को वोट करते हैं। मुझसे पूछ रहे हैं मैने उन्हें उनके निर्णय पर छोड़ दिया है। रही बात मेरी तो मैं भाजपा की सरकार बनने की उम्मीद कर रहा हूँ और इसके लिए शीर्ष नेतृत्व जो आदेश देगा पालन करूँगा। गणेशराम ने तल्खी भरे लहजे में यह भी कहा कि डिलिस्टिंग का मुद्दा जनजातीय सुरक्षा मंच का मुद्दा है और राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते ईसाई हो चुके आदिवासियों का आरक्षण खत्म करने के लिए अंतिम सांस तक लड़ूँगा। इसके लिए अगले साल पांच लाख जनजाति लोगों के साथ संसद तक जाने का कार्यक्रम बन गया है।
आपको बता दें कि प्रदेश के कद्दावर आदिवासी नेता गणेशराम डिलिस्टिंग का मुद्दा उछालने के बाद से राष्ट्रीय स्तर पर 12 करोड़ जनजातीय समाजों में जाने जा रहे हैं।वहीं इनके मुद्दे को बीजेपी ने सरगुजा जिले की लुंड्रा सीट से ईसाई नेता प्रबोध मिंज को टिकट देकर इनकी नाराजगी झेलनी शुरू कर दी है। उस पर जशपुर से टिकट नहीं देकर आग में घी का काम कर दिया है। जनजातीय सुरक्षा मंच के विधिक सलाहकार रामप्रकाश पांडे कहते हैं कि प्रदेश की नौ सीटों में केवल उराँव जनजाति के वोट प्रत्याशी की जीत-हार का फैसला करते हैं। इसके अलावा हमारे मंच से सभी जनजातीय समाज गोंड, कंवर, कोरवा, पंडो, बैगा जैसे वनवासी भी बीजेपी के फैसले से दुःखी हैं।