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आक्रामक विपणन रणनीति से 112 अरब डॉलर की अप्रयुक्त निर्यात क्षमता वाले 10 देशों शामिल हो सकता है भारत

नई दिल्ली
सरकार के समर्थन सहित आकर्षक विपणन रणनीति से भारतीय कारोबार को तीन वर्षों में अमेरिका और ब्रिटेन जैसे 112 अरब अमेरिकी डॉलर की अप्रयुक्त निर्यात क्षमता वाले 10 देश में पहुंचने में मदद मिल सकती है।

एफआईईओ के एक अध्ययन में यह बात सामने आई।

भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (एफआईईओ) ने कहा कि इस क्षमता का दोहन करने के लिए एक उचित रणनीति की जरूरत है।

इसके अलावा इन देशों में भारतीय मिशन को बाजार पहुंच से संबंधित मुद्दों की पहचान करनी चाहिए ताकि उन गंतव्यों में घरेलू सामानों के निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके। गैर-शुल्क बाधाएं निर्यात को प्रभावित करती हैं और इन समस्याओं से निपटने की जरूरत है।

एफआईईओ ने कहा कि मिशन उद्योग को प्रमुख आयातकों के साथ बैठकें आयोजित करने में भी मदद कर सकते हैं। इन देशों में घरेलू विनिर्माण क्षमताओं की ताकत दिखाने के लिए सक्रिय रूप से प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर अभियान चलाने पर विचार किया जा सकता है।

संगठन ने कहा, '' 112 अरब अमरीकी डॉलर की अप्रयुक्त निर्यात क्षमता वाले शीर्ष 10 देश अमेरिका (31 अरब अमरीकी डॉलर), चीन (22 अरब अमरीकी डॉलर), संयुक्त अरब अमीरात (11 अरब अमरीकी डॉलर), हांगकांग (8.5 अरब अमरीकी डॉलर), जर्मनी (7.4 अरब अमरीकी डॉलर), वियतनाम (9.3 अरब अमेरिकी डॉलर), बांग्लादेश (पांच अरब अमेरिकी डॉलर), ब्रिटेन (5.4 अरब अमेरिकी डॉलर), इंडोनेशिया (छह अरब अमेरिकी डॉलर) और मलेशिया (5.8 अरब अमेरिकी डॉलर) हैं।

अध्ययन में कहा गया कि वैश्विक मंदी, बढ़ती ब्याज दर और उच्च मुद्रास्फीति के कारण मांग प्रभावित हुई है, जिसका असर भारत के निर्यात पर भी पड़ रहा है। इस पृष्ठभूमि में अप्रयुक्त निर्यात क्षमता पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है।

 

 

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