आम चुनाव में बस एक साल शेष, अब क्या करेगी कांग्रेस; सियासी संकट से ऐसे घिरा गांधी परिवार
नई दिल्ली
देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस इस समय बड़े संकट का सामान कर रही है। मानहानि मामले में राहुल गांधी को सजा और फिर लोकसभा की सदस्यता जाना पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है। संकट यहीं खत्म नहीं होता बल्कि राहुल गांधी को जेल भी जाना पड़ सकता है और 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक भी लग सकती है। राहुल गांधी पर ऐक्शन के बाद इस समय विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी के साथ दिखाई दे रहे हैं। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि सभी दल 2024 के चुनाव में कांग्रेस की अगुआई में चुनाव लड़ने को तैयार हो जाएंगे।
16 आम चुनाव गांधी परिवार के नेतृत्व में
देश में अब तक 17 आम चुनाव हो चुके हैं। 1996 के चुनाव को छोड़ दें तो कांग्रेस ने गांधी परिवार के ही किसी ना किसी व्यक्ति के नेतृत्व में चुनाव लड़ा है। 1951 से 1967 तक पंडित जवाहरलाल नेहरू पार्टी का नेतृत्व कर रहे थे। 1967 से 1980 तक इंदिरा गांधी के हाथ में कमान थी। 1984 से 1991 तक राजीव गांधी ने नेतृत्व किया। इसके बाद 1998 से 2014 तक सोनिया गांधी पार्टी की चीफ थीं। 2019 के चुनाव में राहुल गांधी के पास पार्टी की कमान थी। राजीव गांधी की हत्या के बाद पहले सोनिया गांधी ने राजनीति में आने से इनकार क दिया था लेकिन बाद में उन्होंने 1998 में पार्टी की कमान संभाली।
कौन होगा कांग्रेस का चेहरा
राहुल गांधी को सजा होने के बाद कांग्रेस के सामने सवाल यह है कि आम चुनाव में उसका प्रमुख चेहरा कौन होगा। बता दें कि राहुल गांधी के पार्टी चीफ बनने के इनकार के बाद इस बार मल्लिकार्जुन खड़को को अध्यक्ष बनाया गया है।
हर बार कम हुआ जनता का समर्थन
अगर आंकड़ों पर गौर करें तो 1951 के बाद से जैसे-जैसे कांग्रेस के अध्यक्ष बदलते गए उनका सपोर्ट बेस भी कम होता गया। जहां पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस को 45 प्रतिशत तक वोट हासिल हुए वहीं 1977 में इमर्जेंसी के बाद इंदिरा गांधी का वोट शेयर गिरकर 40 फीसदी हो गया। 1996 में कांग्रेस का वोट शेयर 30 फीसदी से भी कम हो गया था। 1992 में बाबरी मस्जिद ढहने के बाद देश में हिंदुत्व की राजनीति शुरू हो गई। सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का वोटशेयर 30 फीसदी हो गया। 2004 और 2009 में कांग्रेस को गठबंधन की सरकार बनानी पड़ी। 2014 में कांग्रेस के वोट प्रतिशत 20 फीसदी से भी कम हो गया।
लगातार दो आम चुनावों में कांग्रेस के घटते वोट शेयर और पंजाब और गुजरात जैसे राज्यों में स्थिति देखकर यही लगता है कि इस संकट से निकलना पार्टी के लिए बहुत मुश्किल है। 2024 में भाजपा को चुनौती देने के लिए कांग्रेस दलों का संगठन बनाना चाहती है। हालांकि बहुत सारे लोगों का कहना है कि कांग्रेस अब भाजपा की मुख्य विरोधी पार्टी नहीं बन सकती। टीएमसी का कहना है कि कांग्रेस के पास 2024 के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं है। वहीं अगर कांग्रेस को 2024 में वाकई में अगुआई करनी है तो उसके लिए आने वाले चार राज्यों के चुनाव महत्वपूर्ण हैं।