IMF ने यूक्रेन को दिया सबसे बड़ा लोन, पाकिस्तान गिड़गिड़ाता रह गया
इस्लामाबाद
फरवरी 2022 से रूस के साथ जंग का सामना कर रहे यूक्रेन के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की तरफ से 15.6 अरब डॉलर वाले कर्ज पैकेज का ऐलान किया गया है। यूक्रेन दुनिया का पहला देश है जिसे युद्ध के बीच इतनी बड़ी मदद का ऐलान किया गया है। वहीं यह खबर पाकिस्तान को मुंह चिढ़ाने वाली है। इतिहास में अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को आईएमएफ की तरफ से बेलआउट पैकेज का इंतजार है। लेकिन पहले श्रीलंका और अब यूक्रेन के लिए लोन की घोषणा करके आईएमएफ ने पाकिस्तान का खून जलाने वाला काम किया है। एक तरफ युद्ध में अटके यूक्रेन को तो आईएमएफ की मदद मिल गई है तो वहीं मुश्किलों में फंसे पाकिस्तान के लिए मुश्किल शर्तें रख दी गई हैं।
पाकिस्तान के लिए कठिन शर्तें
आईएमएफ की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है, 'यूक्रेन की अथॉरिटीज और आईएमएफ स्टाफ के बीच एक स्टाफ लेवल एग्रीमेंट हुआ है। मैक्रोनॉमिक्स और वित्तीय नीतियों पर हुए इस समझौते को 48 महीनों वाले एक्सटेंडेट फंड फैसिलिटी (EEF) के तहत मदद दी जाएगी।' खास बात है कि यूक्रेन के लिए इस भारी भरकम पैकेज का ऐलान ठीक उसी दिन हुआ है जिस दिन पाकिस्तान, कुवैत से ईधन की खरीद की पेमेंट पर बड़ी मुश्किल से दिवालिया होने से बचा था। पाकिस्तान के लिए आने वाले दिन बहुत ही मुश्किल होने वाले हैं। आईएमएफ का कदम पाकिस्तान की सरकार के लिए काफी कठिन है क्योंकि संस्था की तरफ से देश को सिर्फ 6.5 अरब डॉलर वाला राहत पैकेज ही मिल सकेगा। यह पैकेज मुल्क की आर्थिक समस्याओं को सुलझाने में नाकाफी है।
IMF पर भेदभाव का आरोप
आईएमएफ के साथ हुई डील के तहत पाकिस्तान को या तो एक अनुदान के बराबर खर्च को कम करना होगा या फिर उसी राशि के बराबर एक्स्ट्रा टैक्स लगाने का वादा आईएमएफ से करना होगा। आईएमएफ की तरफ से देश के सामने कई मुश्किल शर्तें रखी गई हैं जिनमें से एक शर्त यह है और यह सबसे मुश्किल है। यूक्रेन जहां एक तरफ रूस के साथ जंग में जूझ रहा है तो दूसरी ओर इसी जंग की वजह से वह कर्ज का भुगतान करने में असफल है। लेकिन इसके बाद भी उसे आसानी से 15.6 अरब डॉलर का कर्ज मिल गया है। पाकिस्तान की मीडिया की मानें तो यूक्रेन की मदद के लिए आईएमएफ ने अपनी ही शर्तों के किनारे कर दिया है।
राजनीति से प्रेरित फैसला
जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल फाइनेंस की प्रोफेसर शेहरजादे रहमान से एनपीआर के स्कॉट साइमन ने पूछा कि अपने करीब 80 साल के इतिहास में आईएमएफ ने युद्ध में देशों को कर्ज नहीं दिया है। आपको क्यों लगता है कि वे अब बदल गए हैं?' इस पर उन्होंने जवाब दिया, 'बैंकिंग लोन का नियम काफी आसान है। जब कोई देश युद्ध में होता है तो वह आईएमएफ के लिए खतरा पैदा करता है। ऋण देने का नियम सरल है। आईएमएफ ने कहीं भी यूक्रेन का जिक्र नहीं किया। साफ है कि यह नियम परिवर्तन राजनीति से प्रेरित था।' उन्होंने कहा कि जब आईएमएफ पैसा उधार देता है तो जो देश पहले से ही संकट में है, उस पर बहुत ही कठोर शर्तें लगा देता है।
कहां पर है मुश्किल
श्रीलंका साल 2016 से आईएमएफ से कर्ज मांग रहा है, लेकिन अपने उच्च ऋण स्तर और देश की आर्थिक नीतियों पर चिंताओं के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। इस बीच, पाकिस्तान को हाल के महीनों में आईएमएफ के साथ कई दौर की बातचीत से गुजरना पड़ा है, लेकिन अभी तक संस्था की तरफ से वित्तीय सहायता को फिर से शुरू करने पर एक स्टाफ लेवल एग्रीमेंट को सुरक्षित करना बाकी है। राहत पैकेज के लिए यह सबसे जरूरी है।