घुंघरुओं की खनक व दैहिक चपलता ने श्रोताओं को किया अभिभूत
धार
गोधूली वेला में जहां सूर्य अस्तांचल की ओर जा रहे थे उसी समय बाल कलाकारों की नृत्य प्रस्तुतियां एक नई आभा को उदित कर रही थी। परम्परागत नृत्य की शब्दलय घुंघरुओं की खनक, दैहिक चपलता ने श्रोताओं को अभिभूत कर दिया अवसर था आठवें पद्मश्री फड़के संगीत समारोह की समापन संध्या का। नूपुर कला केंद्र की 23 सदस्यीय कलाकारों की मंडली ने परम्परा गत नृत्यों का।
चार विविध गणेश वंदना, राजस्थानी लोक नृत्य, नर्मदाष्टकम व भूपेंद्र हजारिका का डोला डोला नृत्यों की सम्यक पेशकश इतनी सधी हुई थी कि सुधी दर्शकों का रोम रोम पुलकित हो उठा। आरम्भ में जिला न्यायाधीश व सचिव श्री सचिन घोष, भोज शोध संस्थान के निदेशक डॉ दीपेंद्र शर्मा ने कलाकारों के साथ कला देवता भगवान नटराज की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलन किया व बड़वाह के कत्थक नृत्य गुरु संजय महाजन का भोज कला सम्मान, प्रतीक चिन्ह व सम्मान राशि देकर सम्मान किया।
सम्मान के बाद कत्थक कलाकार व उनकी 10 सदस्यीय टीम ने श्रीराम स्तुति, बिरजू महाराज रचित अर्धनारीश्वर, मधुराष्टक व कत्थक में ठाठ, आमद, तोड़े-टुकड़े, परण, लड़ी व गत निकास पेश की। समापन नृत्य में द्रुत त्रिताल राग कलावती में तराना से किया। कलाकारों का सम्मान मनोज आप्टे, प्रकाश जैन सर, प्रोफेसर आयशा खान, विभा जैन, हरिहरदत्त शुक्ल, महेश शर्मा, पराग भोसले व अनिल तिवारी ने किया।
सम्मान – सभी सहयोगी व संगत कलाकारों को समिति द्वारा आकर्षक प्रमाण पत्र प्रदान करने के साथ ही भोज कला सम्मान से संजय महाजन बड़वाह, नवोदित सम्मान से राघवराज वशिष्ट, सराहनीय कार्य सहयोग से राकी मक्कड़, शुभम उपाध्याय प्रकाश रेडियोज, मयूर जैन मामाजी टेंट, अतुल कालभंवर आर्ट पॉइंट, जिंतेंद्र पाटीदार होटल उत्सव को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। सभी कलाकारों, आमंत्रितों, प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सहयोग़ियों का समय सीमा को महत्व देते हुए अति संक्षिप्त आभार पद्मश्री फड़के संगीत समारोह समिति के संयोजक डॉ दीपेंद्र शर्मा ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का समयबद्ध संचालन अनिल तिवारी ने किया। समापन सामूहिक राष्ट्रगान मुख्य स्वर अरुणा बोड़ा से हुआ। लोकप्रिय नृत्य विधा व कार्यक्रम का आकर्षण ऐसे बड़ा कि आयोजन स्थल पर जगह ना मिलने से कई को खड़े रहकर नृत्य देखना पड़ा। यह जानकारी समिति सदस्य मीनाक्षी लहरे ने दी।