CM केजरीवाल की होश्यारी दिल्लीवालों को पड़ेगी भारी, बंद हो जाएगी बिजली सब्सिडी?
नईदिल्ली
दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और एलजी के बीच बिजली सब्सिडी के मुद्दे पर छिड़ी रार अभी थमती नजर नहीं आ रही है। एलजी कार्यालय के एक सूत्र ने आरोप लगाया कि गरीब लोगों के नाम पर निजी डिस्कॉम (DISCOMS) को लाभ पहुंचाने और अनुचित वित्तीय सहायता प्रदान करने के मामले में रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद 'आप' सरकार और उसके नेता निराधार, झूठे और भ्रामक बयान दे रहे हैं।
सूत्र ने आगे कहा कि मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ दिल्ली एलजी विनय कुमार सक्सेना को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें बताया गया कि बिजली विभाग "डिस्कॉम को दी जा रही सब्सिडी" पर दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) की वैधानिक सलाह का पालन नहीं कर रहा है।
सूत्र ने कहा कि अगर डीईआरसी के निर्देश का पालन किया जाता है, तो इससे सरकार के 300 करोड़ रुपये बचेंगे। उन्होंने आगे कहा कि अब जबकि उनका यह घोटाला उजागर हो गया है, वे किसी तरह लोगों की नजरों में खुद को उठाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि एलजी ने अपने किसी भी मैसेज में 'आप' सरकार को उपभोक्ताओं की सब्सिडी वापस लेने के लिए कहने जैसा कोई सुझाव नहीं दिया है।
एकतरफा था तत्कालीन ऊर्जा मंत्री का आदेश
सूत्र ने यह भी दावा किया कि तत्कालीन ऊर्जा मंत्री ने एकतरफा रूप से डीईआरसी के निर्देशों का पालन नहीं करने का फैसला किया और डिस्कॉम को अतिरिक्त 300 करोड़ रुपये का भुगतान करना जारी रखा, जबकि एलजी ने बार-बार निजी बिजली कंपनियों के बजाय गरीबों को सब्सिडी देने के लिए कहा, जो पात्र हैं।
सूत्र ने कहा, "तत्कालीन ऊर्जा मंत्री इस निर्णय को लेने के लिए अधिकृत नहीं थे- ऐसा करने के लिए कैबिनेट के पास अधिकार था। एलजी ने अपने नोट में सीएस से इस उल्लंघन को उनके ध्यान में लाने और कैबिनेट को इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए कहा है।"
एलजी कार्यालय के सूत्र ने बिजली मंत्री आतिशी पर भी कटाक्ष किया और कहा कि वह एलजी के खिलाफ बेबुनियाद और झूठे बयान देने के बजाय सीएम से रिपोर्ट की कॉपी मांग सकती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि सीएम, एलजी पर हमला करने के बजाय उनके पास पहले से ही रिपोर्ट देख सकते हैं, तत्कालीन बिजली मंत्री द्वारा किए गए उल्लंघनों का नोटिस लें और इसे कैबिनेट मीटिंग के माध्यम से ठीक करें। उन्होंने आगे कहा, यह बेहतर होगा कि सरकार लोगों को गुमराह करना बंद करे।
आतिशी ने विधानसभा में अधिकारियों पर लगाए थे आरोप
बिजली मंत्री आतिशी ने शुक्रवार को विधानसभा में दिल्ली में बिजली सब्सिडी का मुद्दा उठाते हुए दावा किया था कि मुख्य सचिव और बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपराज्यपाल की मिलीभगत से दिल्ली के लोगों को मुफ्त बिजली देने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया था, "मुख्य सचिव और बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एलजी के निर्देश पर बिजली कंपनियों के साथ सौदा करने और उन्हें लाभ प्रदान करने की साजिश कर रहे हैं। यह पूरी साजिश दिल्ली के लोगों को मुफ्त बिजली मिलने से रोकने के लिए रची जा रही है।"
आतिशी ने कहा कि 10 मार्च को उन्हें मीडिया के माध्यम से पता चला कि एलजी ने 200 यूनिट मुफ्त बिजली आपूर्ति से संबंधित एक फाइल मुख्य सचिव को भेजी है। आतिशी ने दावा किया, 'इस फाइल को 15 दिनों के भीतर कैबिनेट के सामने पेश किया जाना था, लेकिन यह फाइल न तो सीएम और न ही बिजली मंत्री के पास चर्चा के लिए पहुंची है।'
उन्होंने पूछा, ''14 दिन से संबंधित फाइल मुख्यमंत्री और बिजली मंत्री तक पहुंचने के बजाय मुख्य सचिव और बिजली सचिव के दफ्तरों में चक्कर काट रही है। अधिकारी क्या छुपाने की कोशिश कर रहे हैं?'
बिजली मंत्री ने कहा कि उन्होंने बार-बार मुख्य सचिव और बिजली सचिव से इस फाइल के बारे में पूछा, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। सवाल उठता है कि यह फाइल अब तक मंत्री के पास क्यों नहीं पहुंची, लेकिन मुख्य सचिव का इस पर कोई जवाब नहीं आया। आज 14 दिन बीत जाने के बाद भी वह महत्वपूर्ण फाइल बिजली मंत्री के पास नहीं पहुंची है। बिजली मंत्री ने आगे कहा कि इस तरह की हरकत से लगता है कि इस पूरी घटना के पीछे कोई बड़ी साजिश है।
उन्होंने आरोप लगाया, ''उपराज्यपाल के निर्देश पर मुख्य सचिव और ऊर्जा सचिव दिल्ली की जनता को 200 यूनिट मुफ्त बिजली से वंचित करते हुए बिजली कंपनियों के साथ सांठगांठ कर मुनाफा कमाने की कोशिश कर रहे हैं।''
इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इस मामले को जांच के लिए सार्वजनिक सुविधाओं की स्थायी समिति के पास भेज दिया है।