देश

कनाडा में हिंदू ज्यादा रहते हैं या सिख? कैसे भारत से बाहर भी बस गया एक पंजाब

कनाडा
क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश कनाडा और जनसंख्या के हिसाब से दूसरे सबसे बड़े देश भारत के बीच रिश्ते सामान्य नहीं चल रहे हैं। खालिस्तान समर्थकों से हमदर्दी रखने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने  आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के कथित आरोप लगाए हैं। इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनातनी का दौर जारी है।हरदीप सिंह निज्जर मूलत: पंजाब के जालंधर का रहने वाला एक सिख था, जो 1990 के करीब कनाडा चला गया था। वह खालिस्तान आंदोलन का एक नेता बन गया। निज्जर गुरु नानक सिख गुरुद्वारा का अध्यक्ष भी था, जहां उसकी हत्या कर दी गई थी। वह खालिस्तान की वकालत करता था। खालिस्तान की मांग दशकों से हो रही लेकिन अब भारत के अंदर यह निष्क्रिय है। दूसरी तरफ यह आंदोलन कनाडा के  सिख प्रवासी समुदाय के बीच गरम है।

कनाडा में ज्यादा हिन्दू या सिख?
2021 की जनगणना के अनुसार कनाडा की जनसंख्या 3.70 करोड़ है। इनमें से 16 लाख यानी करीब चार फीसदी भारतीय मूल के हैं। कनाडा में सिखों की आबादी लगभग 7,70,000 है। पिछले 20 सालों में कनाडा में सिखों की आबादी दोगुनी हो गई है। उनमें से अधिकांश उच्च अध्ययन और नौकरियों के लिए पंजाब से पलायन कर गए हैं। पंजाब के बाद पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा सिख कनाडा में ही रहते हैं। सिखों के अलावा कनाडा में हिन्दुओं की आबादी करीब 8 लाख 28 हजार है। यह कनाडा की कुल आबादी का 2.3 फीसदी है। पिछले बीस साल में कनाडा में हिन्दुओं की आबादी में 1.3 फीसदी की वृद्धि हुई है।

कनाडा में कैसे बढ़ा सिखों का दबदबा
कनाडा में सिख सबसे तेजी से बढ़ते समूहों में से हैं। ईसाई, मुस्लिम और हिंदू के बाद सिख देश का चौथा सबसे बड़ा धार्मिक समूह है। उनकी आबादी ओंटारियो, ब्रिटिश कोलंबिया और अल्बर्टा में केंद्रित है। साथ ही, कनाडा में अंग्रेजी और फ्रेंच के बाद पंजाबी तीसरी सबसे लोकप्रिय भाषा है। भारत से पलायन कर कनाडा में बसे सिखों ने निर्माण क्षेत्र, परिवहन और बैंकिंग क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया है। कई सिख होटल-रेस्टोरेंट चेन और गैस स्टेशन जैसे सफल बिजनेस हाउसेज के मालिक हैं। इसके अलावा कनाडा में 4.15 लाख सिखों के पास स्थायी निवास है और 1.19 लाख सिख इसके बिना ही कनाडा में रह रहे हैं। 1980 तक कनाडा में केवल 35,000 सिख स्थाई निवासी के तौर पर रह रहे थे।

खालिस्तान समर्थक अधिकांश प्रवासी सिख
कनाडा में बड़े पैमाने पर ऐसे सिख रहते हैं जो खालिस्तान आंदोलन के समर्थक रहे हैं। कनाडा की सरकार में भी सिखों का दबदबा है। जब जस्टिन ट्रूडो 2015 में पहली बार प्रधान मंत्री बने, तो उन्होंने सिख समुदाय से चार लोगों को अपनी सरकार में मंत्री बनाया था। 1981 में अल्पसंख्यक कनाडा की कुल आबादी में महज 4.7 फ़ीसदी थे। एक रिपोर्ट के अनुसार 2036 तक कनाडा की कुल आबादी में हिन्दू, मुस्लिम और सिख अल्पसंख्यकों की आबादी 33 फीसदी हो जाएगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि गुरुद्वारों के माध्यम से उनकी नेटवर्किंग कनाडा में समुदाय की भारी सफलता का एक प्रमुख कारण है। वे सिख फंड के रूप में अनुदान भी एकत्र करते हैं और इस धन का एक बड़ा हिस्सा चुनाव अभियानों के फंडिंग में खर्च किया जाता है।

कनाडा के चुनावों में सिखों की भूमिका
कनाडा के 388 सांसदों में से 18 सिख हैं। इनमें से आठ सीटों पर पूरी तरह से सिखों का नियंत्रण है और 15 अन्य सीटों पर वे हार-जीत तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। यही वजह है कि कोई भी राजनीतिक दल इस समुदाय को नाराज नहीं करना चाहता।

पहली बार सिख कब गए कनाडा
कहा जाता है कि 1897 में महारानी विक्टोरिया ने ब्रिटिश भारतीय सैनिकों की एक टुकड़ी को डायमंड जुबली सेलिब्रेशन में शामिल होने के लिए लंदन बुलाया था। तब भारतीय घुड़सवार सैनिकों का एक दल महारानी के साथ ब्रिटिश कोलंबिया गया था। उन्हीं सैनिकों में रिसालेदार मेजर केसर सिंह भी थी, जो कनाडा में ही बस गए। उन्हें कनाडा में बसने वाला पहला सिख कहा जाता है।

केसर सिंह के साथ कुछ और सैनिकों ने ब्रिटिश कोलंबिया में बसने का फैसला किया। कुछ सैनिक जब वापस लौटे तो उन लोगों ने पंजाब में ये बातें बताईं, फिर तब से ब्रिटिश कोलंबिया में पंजाब से जाकर लोगों के बसने का सिलसिला शुरू हो गया। इनमें से 90 फीसदी सिख थे।

 

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button