राजनीति

अरविंद केजरीवाल की बातों के क्या मायने, मोदी के खिलाफ कांग्रेस से हाथ मिला लेगी AAP?

नई दिल्ली

आपराधिक मानहानि केस में राहुल गांधी को 2 साल की सजा होने के बाद उनकी सदस्यता चली गई। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष की लोकसभा सदस्यता छिनने का करीब एक दर्जन से अधिक पार्टियों ने पुरजोर विरोध किया है। इनमें सबसे मुखर आवाज आम आदमी पार्टी (आप) की रही। खुद पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने राहुल की सदस्यता को लेकर हुए फैसले के बाद करीब 3 घंटे में 3 बार प्रतिक्रिया दी। राहुल के बचाव में पीएम मोदी को भला-बुरा कहने वाले केजरीवाल ने एक दिन पहले भी कांग्रेस नेता का समर्थन किया था जब उन्हें सूरत की कोर्ट ने दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी। केजरीवाल के अलावा 'आप'के अन्य नेता और प्रवक्ता भी काफी ऊर्जा के साथ के राहुल गांधी का बचाव करते दिख रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस और 'आप' के नजदीक आने को लेकर अटकलें लगने लगी हैं। पूछा जाने लगा है कि क्या 2024 लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर दोनों पार्टियां हाथ मिला सकती हैं?

केजरीवाल की ओर से राहुल गांधी के बचाव ने कई राजनीतिक विश्लेषकों को हैरान किया है। इसकी वजह यह है कि कांग्रेस सरकार के दौरान भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन चलाकर राजनीति में आने वाले अरविंद केजरीवाल देश की सबसे पुरानी पार्टी पर बेहद हमलावर रहे हैं। हालांकि, 2013 में पार्टी ने पहली बार जब सत्ता का स्वाद चखा तो कांग्रेस ने ही बाहर से समर्थन देकर केजरीवाल की सरकार बनवाई थी, जो 49 दिन ही चली थी। इसके बाद से कभी केजरीवाल ने कांग्रेस के प्रति नरमी नहीं बरती। उन्होंने पंजाब में भी कांग्रेस से सत्ता छीन ली तो गोवा और गुजरात जैसे राज्यों में चुनाव लड़कर भाजपा से ज्यादा कांग्रेस को चोट पहुंचाई। यह पहला मौका है जब उन्होंने किसी मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी से इसके किसी नेता का इस तरह बचाव किया है, जबकि इससे पहले राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों के ऐक्शन पर आम आदमी पार्टी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई थी।

2024 में मिलाएंगे हाथ, केजरीवाल ने क्या दिए संकेत?
कांग्रेस का समर्थन करते हुए आम आदमी पार्टी समेत 14 दलों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और मोदी सरकार पर सीबीआई-ईडी जैसी जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया। इन 14 दलों को लेकर सवाल उठ रहा है कि क्या इनकी एकजुटता अगले लोकसभा चुनाव तक कायम रहेगी? शुक्रवार को विधानसभा के बाहर पत्रकारों से बातचीत के दौरान केजरीवाल से कांग्रेस के साथ उनके पुराने रिश्ते और मौजूदा समर्थन को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने पुरानी बातों को महत्व ना देने की बात कही। उन्होंने इसे देश और लोकतंत्र बचाने की लड़ाई बताते हुए सबको एकजुट होने की आवश्यकता बताई।

केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का स्वरूप अंग्रेजों से भी खतरनाक है, अब लोगों को सामने आकर लड़ाई लड़नी पड़ेगी। यदि हमने भारत को बचाना है तो 130 करोड़ लोगों को एकजुट होकर लड़ना पड़ेगा। सरकार चाहे किसी की बने , कल को सरकार चाहे इसकी बने, उसकी बने, लेकिन जिस तरह जनतंत्र पर हमला किया जा रहा है वह सही नहीं है।'केजरीवाल से जब कांग्रेस के रिश्ते को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'हमारे आपसे के रिश्ते महत्वपूर्ण नहीं है, इस वक्त देश को बचाना महत्वपूर्ण है। यह राहुल गांधी की लड़ाई नहीं है, यह कांग्रेस की लड़ाई नहीं है। यह लड़ाई इस देश को बचाने की लड़ाई है, एक तानाशाह से, कम पढ़े लिखे व्यक्ति से, अंहकारी से इस देश को बचाने की लड़ाई है।' 'आप' संयोजक की इन बातों को कई राजनीतिक विश्लेषक भविष्य की राजनीति के संकेत बता रहे हैं। उनका मानना है कि लोकतंत्र की दुहाई देकर 'आप' समेत कई दल कांग्रेस के साथ जुड़ सकते हैं। हालांकि, अभी चुनाव में एक साल का वक्त है और इस बीच राजनीतिक समीकरण काफी बदल भी सकते हैं। चेहरा और सीटों की संख्या को लेकर ऐन वक्त पर गठबंधन टूटते रहे हैं।

क्या मुसीबत ने कराया मिलाप?
अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के समर्थन में आवाज ऐसे समय पर उठाई है जब खुद उनकी पार्टी एक बड़े संकट का सामना कर रही है। आप के दूसरे सबसे बड़े नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शराब घोटाले में जेल में हैं। पिछले महीने जब सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया तो कांग्रेस के कई नेताओं ने खुलकर 'आप' को इस बात का अहसास दिलाने की कोशिश की कि जब कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियां कार्रवाई करती हैं तो उनकी ओर से चुप्पी साध ली जाती है। ऐसे में 'आप' के बदले रुख को इससे भी जोड़कर देखा जा रहा है। जिन 14 दलों ने एक साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, उनमें से अधिकतर के नेता कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। 'आप' के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि लंबे समय से विपक्षी दल किसी मुद्दे पर साथ नहीं आ पा रहे थे, लेकिन अब ऐसा हो चुका है। खुद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि मोदी सरकार ने विपक्ष को बड़ा हथियार दे दिया है। उनका इशारा संभवत: विपक्षी दलों की एकजुटता की ओर था।

 

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