6000 FIR, 70 कत्ल, 5 बलात्कार और परेड कांड; कैसे ढाई महीने में अपराध की भट्टी बना मणिपुर
नई दिल्ली
मणिपुर की हिंसा अब हैवानियत में बदल गई है। हाल ही में वायरल हुए दो महिलाओं के साथ दरिंदगी के वीडियो ने यह बात साफ कर दी है। इसी बीच एक रिपोर्ट में जारी आंकड़े बता रहे हैं कि 3 मई को भड़की हिंसा के बाद से अब तक राज्य में करीब 6 हजार FIR दर्ज हो चुकी हैं। इस दौरान करीब 70 हत्याओं का दावा किया जा रहा है। राज्य के कुछ विधायकों का कहना है कि कई महिलाओं को हवस का शिकार बनाया गया।
सिर्फ 657 पर एक्शन
एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि पूर्वोत्तर राज्य में कुकी बनाम मैतेई शुरू होने के बाद से अब तक कम से कम 6 हजार मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें अलग-अलग थानों में दर्ज FIR में 70 मर्डर केस की हैं। कहा जा रहा है कि पुलि ने अब त इंफाल घाटी और आसपास के पहाड़ी इलाकों से कुल 657 लोगों को हिरासत में लिया है।
बलात्कार पर बलात्कार
गुरुवार शाम को ही मणिपुर विधानसभा के 10 सदस्यों ने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों के आंकड़े बताए। उनका दावा है कि राज्य के अलग-अलग हिस्सों में अब तक कम से कम 5 महिलाओं की हत्या हो चुकी है। साथ ही तीन बलात्कार का शिकार हो चुकी हैं। हालांकि, इस दौरान विधायकों ने जानकारियां साझा नहीं की।
परेड कांड
हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ, जो 4 मई का बताया जा रहा है। फिलहाल, सरकार ने इस वीडियो को सोशल प्लेटफॉर्म्स से हटाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। खबर है कि करीब एक हजार लोगों की भीड़ दो महिलाओं पर टूट पड़ी थी, जिनमें एक की उम्र 20 और एक 40 साल के आसपास है। वीडियो में नजर आ रहा है कि भीड़ महिलाओं के साथ अश्लील हरकतें कर रही हैं। आरोप हैं कि सबसे छोटी महिला के साथ सामूहिक बलात्कार भी हुआ था। इस मामले का मुख्य आरोपी समेत अब तक 4 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।
कई मामलों में अब तक जांच शुरू ही नहीं हुई
दावा किया जा रहा है कि मणिपुर में सिर्फ 2 हजार एसआई रैंक के अधिकारी हैं, जिन्हें जांच करने का अधिकार है। खबर है कि अधिकांश मामलों में अब तक जांच शुरू भी नहीं हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, 'लगभग हर रोज 75 मामले आ रहे हैं, लेकिन हमारे पास जांच के लिए स्टाफ सीमित है। ये स्टाफ भी कानून-व्यवस्था बरकरार रखने के लिए लगाया गया है।'
समुदायों का एंगल
उन्होंने कहा, 'साथ ही हम एक समुदाय के पुलिसकर्मियों को दूसरे समुदाय के प्रभाव वाले इलाकों में नहीं भेजना चाहते, क्योंकि इससे उनकी जान को खतरा बढ़ जाएगा। अगर हम किसी आरोपी को पकड़ भी लेते हैं, तो उन्हें लाना बहुत मुश्किल काम है। कई मामलों में स्थानीय रहवासी जबरन आरोपी को छुड़ा ले जाते हैं।' पुलिस का कहना है कि इंफाल में एक ही स्थाई जेल होने के चलते यह भी एक बड़ी चुनौती है।