इजरायल के खिलाफ सऊदी में जुटेंगे 57 मुसलमान देश, पुराने दुश्मन भी साथ
रियाद/ तेहरान
इजरायल और हमास में जारी जंग ने इस्लामिक देशों को एकजुट कर दिया है। अब तक इस मसले पर सधा हुआ रुख अपना रहे सऊदी अरब ने बड़ा कदम उठा लिया है। सऊदी अरब ने रविवार को इस्लामिक सहयोग संगठन में शामिल 57 देशों की मीटिंग बुला ली है। अहम बात यह है कि इस बैठक में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी भी शामिल रहेंगे। ईरान और सऊदी अरब अलग-अलग ध्रुव पर रहे हैं, ऐसे में रईसी के सऊदी अरब दौरे पर पूरी दुनिया की नजर होगी। वह 2012 के बाद ईरान के पहले राष्ट्राध्यक्ष हैं, जो सऊदी अरब का दौरा करने वाले हैं।
ईरान और सऊदी अरब के 7 सालों से संबंध बेहद खराब थे, लेकिन इसी साल मार्च में चीन की मध्यस्थता से दोनों करीब आए थे। सऊदी अरब की ओर से आयोजित यह समिट उसके तटीय शहर जेद्दाह में होगी। इससे पहले शनिवार को अरब देशों की भी एक इमरजेंसी मीटिंग होने वाली है। इस बैठक में इजरायल और हमास युद्ध पर ही चर्चा होगी। ईरानी प्रशासन ने बताया, 'राष्ट्रपति रईसी इस्लामिक सहयोग संगठन में हिस्सा लेंगे।' इस्लामिक सहयोग संगठन के देश लगातार इजरायल की निंदा कर रहे हैं और मांग की है कि वह हमले रोक दे।
ईरान दे चुका युद्ध में उतरने की धमकी, अब सऊदी भी खुलकर आया
यही नहीं ईरान ने तो खुली धमकी दी है कि यदि हमले नहीं रुके तो वह खुद युद्ध में उतर जाएगा। यही नहीं लेबनान से हिजबुल्लाह ने इजरायल पर हमले तेज कर दिए हैं, जिसे ईरान का ही समर्थित उग्रवादी संगठन माना जाता है। गाजा में अब तक 10 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है, जिस पर अरब देश बेहद नाराज हैं। फिलिस्तीन में मरने वाले लोगों में 4000 तो बच्चे ही हैं। वहीं बेंजामिन नेतन्याहू का कहना है कि हमने गाजा को घेर लिया है और हमास के खात्मे तक हमले नहीं रुकेंगे।
कौन से देश को इजरायल को नही ंदेते मान्यता
सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के बीच 12 अक्टूबर को फोन पर भी बात हुई थी। इस मीटिंग में दोनों नेताओं ने सहमति जताई थी कि हमें फिलिस्तीन के मसले पर साथ आना चाहिए। बता दें कि सऊदी अरब और ईरान दोनों ही इजरायल को मान्यता नहीं देते। इसके अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, कतर जैसे कई और मुसलमान देश हैं, जो इजरायल को मान्यता नहीं देते। इजरायल पर हमला करने वाले हमास को लेकर भी माना जाता है कि उसे ईरान से आर्थिक और सैन्य सहयोग मिलता है।