जैजैपुर
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर संभाग की विधानसभा जैजैपुर अंतर्गत नगर पंचायत जैजैपुर से मिशन चौक मालखरौदा और बड़े सीपत से गोबरा भाठा के सड़कों की हालत किसी से छिपी नहीं है.यह सड़क की हाल ही बदहाल है तो कही सड़कें गड्ढे और तालाबों में तब्दील हो चुकी है.इस सड़क से गुजरने वाले सड़क की तो कहानी ही अलग है. दरअसल इस सड़क के 32 किलोमीटर का हिस्सा पिछले सात साल बाद भी अधूरा है. आलम ये है कि यहां दो पहिया से गुजरने वालों को धूल के रूप में फ्री पाउडर मिल जाता है. वहीं चार पहिया वालों के सामने धूल का धुंध छा जाने से हमेशा हादसों की आशंका बनी रहती है. लेकिन लापरवाह ठेकेदार और उन पर नजरें इनायत करने वाले एडीबी के अधिकारियों को जनता की इस बड़ी समस्या से कोई सरोकार नहीं है.
सड़क का निर्माण अब भी अधूरा
विधानसभा जैजैपुर के जैजैपुर से गोबराभाठा की ओर आने वाले सड़क निर्माण का काम 7 साल पहले शुरू हुआ था. इस जैजैपुर,तुषार,बोड़सरा, बेलादुला,कचंदा,अमेराडीह,पिहरीद, मिशन चौक,छोटे सीपत,नगझर,कनाईडीह,बेल्हाडीह, फ?सवानी,गोबराभांठा तक करीब 32 किलोमीटर सड़क बनाने का जिम्मा बारब्रिक प्रोजेक्ट कंपनी ने लिया था, लेकिन 32 किलोमीटर की सड़क बनाने में 84 महीने का वक्त गुजर चुका है. इसके बाद भी सड़क का निर्माण अब भी अधूरा है.
पुल-पुलियों का काम भी अधूरा
इस सड़क पर आज भी पुल-पुलियों के काम अधूरे पड़े हैं. पुरानी पुलियों के विस्तार के काम कछुआ चाल से चल रहे हैं. नाली और डिवाइडर के काम भी अधूरे पड़े हैं. सड़क के किनारे ना स्ट्रीट लाइट लगी है और न ही अभी तक तय नियम के मुताबिक सड़क के दोनों ओर पेड़ लगाए गए हैं. और तो और जहां पर निर्माण काम अधूरा है, वहां पर किसी भी स्थान पर डायवर्जन कार्य प्रगति पर है का बोर्ड भी नहीं लगाया गया है. इससे आय दिन हादसे होते रहते हैं, जिसका खामियाजा आम नागरिकों को उठाना पड़ता है.
हमेशा सड़क हादसे का बना रहता है खतरा
अधूरे सड़क निर्माण और कछुआ चाल से बनते पुल-पुलिया के साथ सड़क पर साइन बोर्ड का नहीं होना लगातार हादसों को जन्म दे रहा है. इस सड़क पर जैजैपुर से लेकर गोबराभांठा तक कई ऐसे स्थान है. जहां मोड़ होने का साइन बोर्ड न होने से आये दिन हादसे होते रहते हैं. इनमें बोड़सरा के नजदीक तालाब के पास वाला मोड़, किसी तरह का साइन बोर्ड नहीं होने से यहां पर सड़क हादसों का खतरा बना रहता है.
अफसर-ठेकेदार सब हैं लापरवाह
कभी कभी ये हादसे जानलेवा भी साबित हो जाते हैं. इस सड़क पर सबसे ज्यादा खतरनाक स्थान बोड़सरा के तालाब के पास मोड़ है यहां हर दूसरे दिन बड़ा हादसा होता रहता है, लेकिन हैरानी की बात है कि ये सब जानते हुए भी जिम्मेदार अफसर ठेकेदार पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं और न ही ठेकेदार को इससे ज्यादा फर्क पड़ता है.
फोन नहीं उठाते हैं अधिकारी
दरअसल जब से इस सड़क का निर्माण हो रहा है एडीबी के कोई अधिकारी मीडिया के सवालों का जवाब नहीं देते हैं. इस बार भी एडीबी के ईई से इस सवाल के जवाब के लिए फोन लगाया गया. लेकिन उन्होंने फोन उठाने की जरूरत तक नहीं समझी. एक बार तो उन्होंने मोबाइल काट दिया.इतना ही नहीं जब, उनको वाट्सएप मैसेज में सवाल किया गया, तो उन्होंने उसका भी जवाब देना जरूरी नहीं समझा.