जलवायु परिवर्तन के लिए 100 अरब डॉलर… PM मोदी बोले- महिलाओं को भी आना होगा आगे
नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और टिकाऊ ऊर्जा प्रणालियों में परिवर्तन की फंडिंग के लिए वैश्विक सहयोग की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है। शनिवार को जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले सत्र में मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 21वीं सदी की दुनिया में समावेशी ऊर्जा की ओर बढ़ने की खातिर वित्तीय आवश्यकताओं को रेखांकित किया। पीएम ने कहा, जलवायु परिवर्तन की चुनौती को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा के श्रोतों में बदलाव 21वीं सदी में दुनिया की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। समावेशी ऊर्जा की ओर बढ़ने के लिए अरबों डॉलर की आवश्यकता है। स्वाभाविक रूप से विकसित देश इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 100 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता को पूरा करने की इच्छा को लेकर विकसित देशों की सराहना की। साल 2009 में कोपेनहेगन संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में विकसित देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में विकासशील देशों का समर्थन करने के लिए 2020 तक प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर मुहैया करने की प्रतिबद्धता जताई थी। हालांकि, धनी राष्ट्र इस प्रतिबद्धता को पूरा करने में बार-बार विफल रहे। प्रधानमंत्री मोदी ने टिकाऊ और हरित विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए जी-20 द्वारा हरित विकास समझौता अपनाए जाने की भी सराहना की।
यह उल्लेख करते हुए कि कार्बन क्रेडिट पर चर्चा मुख्य रूप से नकारात्मक दृष्टिकोण के साथ दशकों से जारी है, पीएम मोदी ने ग्रीन क्रेडिट कहे जाने वाले अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण की ओर बढ़ने का प्रस्ताव किया। उन्होंने जी-20 देशों से सकारात्मक पर्यावरणीय प्रयासों को बढ़ावा देने और रचनात्मक पहल को प्रोत्साहित करने के लिए ग्रीन क्रेडिट पहल पर काम शुरू करने का आग्रह किया। भारत ने अपने पर्यावरणीय कार्यों के लिए व्यक्तियों, निजी क्षेत्रों, लघु उद्योगों, सहकारी समितियों, वानिकी उद्यमों और किसान-उत्पादन संगठनों द्वारा किए गए स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्यों को प्रोत्साहित करने की खातिर ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम तैयार किया है।
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ महिलाओं की भूमिका बढ़ाएं
महिलाओं और लड़कियों पर जलवायु परिवर्तन के असंगत प्रभाव को स्वीकार करते हुए जी-20 समूह ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लैंगिक समानता के आधार पर काम करने का फैसला किया है। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व को बढ़ाने का भी फैसला किया गया है। जी-20 घोषणा में देशों ने लैंगिक समानता के मूलभूत महत्व को रेखांकित किया है।